टिहरी: एक खबर, दो नजर…। दरअसल, ये मामला इतना दिलचस्प है कि एक तरफ जहां सरकार की नाकामियां साफ नजर आ रही हैं। वहीं, दूसरी ओर एक जिलाधिकारी की शानदार पहल की चमक निराश और मजबूर लोगों के चेहरों पर साफ नजर आ रही है। रुद्रप्रयाग जिले के डीएम डॉ. सौरभ गहरवार ने टिहरी जिले में आकर कुछ ऐसा काम किया है, जिसके लिए लोग उनको दुवाएं दे रहे हैं।
रुप्रप्रयाग जिले के जिलाधिकारी IAS डॉ. सौरभ गहरवार अनुमति लेकर टिहरी पहुंचे। उन्होंने यहां स्वतंत्रता संग्राम सेनानी त्रेपन सिंह नेगी राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेलेश्वर में गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाउंड किए। यह अपने आप में बड़ी बात है।
रुद्रप्रयाग जिले के जिलाधिकारी सौ किलोमीटर से अधिक दूरी तय कर टिहरी जिले में आकर अपने डॉक्टर होने का फर्ज निभाने पहुंचे। जिलाधिकारी सौरभ गहरवार ने एक दिन में 130 से अधिक गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड किया। वे पहले टिहरी जिले के जिलाधिकारी भी रह चुके हैं।
सुदूर गांव मेंड, मेवाड़ी, पिंसवाड़ से आई महिलाओं का कहना है कि उन्हें अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था बलेश्वर मिलने से बड़ी राहत मिली है। इसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन टिहरी और रुद्रप्रयाग से आए जिला अधिकारी डॉक्टर सौरभ गहरवार का आभार व्यक्त किया। घनसाली से अल्ट्रासाउंड करने आई मनीषा मेहरा ने कहा कि गायनी और रेडियोलॉजिस्ट के अभाव के चलते उन्हें अल्ट्रासाउंड के लिए श्रीनगर या नई टिहरी जाना पड़ता है।
टिहरी के डिप्टी सीएमओ चंदन मिश्रा ने बताया कि टिहरी जिले में कुल तीन गायनी हैं, रेडियोलॉजिस्ट भी नहीं हैं। भिलंगना विकासखंड के घनसाली क्षेत्र में किसी भी अस्पताल में गायानी की व्यवथा नहीं है।
यही वह कारण जिसके चलते जिला प्रशासन की अनुमति के बाद रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी डॉक्टर सौरभ गहरवार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेलेश्वर में अल्ट्रासाउंड की अनुमति दी गई। इससे महिलाओं को बड़ी राहत मिली है।
ये बात जहां डीएम डॉ. सौरभ गहरवार को सोच और समर्पण को बताया है। वहीं, सरकार के दावों की पोल भी खोलता है। स्वास्थ्य मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक हर कोई बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के दावे करते नजर आते हैं, लेकिन असलियत यह है कि एक जिले के डाक्टर IAS को अल्ट्रासाउंड करने रुद्रप्रयाग से टिहरी आना पड़ा।
अब आप खुद ही अंदाजा लगाइए कि स्वास्थ्य सेवाएं कितनी बदहाल हैं। गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड के लिए कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है आखिर कब तक पहाड़ इस बदहाली को झेलता रहेगा।