- अर्जुन सिंह रावत
भारत के लोग घूमने और एक से दूसरे राज्य के खाने का जायका लेने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. चारधाम का अहम पड़ाव होने के कारण केदारनाथ हमेशा से ही
श्रद्धालुओं के ट्रैवल मैप में रहता है. पिछले कुछ वर्षों में केदारनाथ आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में अभूतपूर्व इजाफा हुआ है. ऐसे में यहां आने वाले लोगों को पहाड़ों के आथेंटिक जायके से रूबरू कराने और उन्हें सफर की ‘जायकेदार’ यादों देने के लिए केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव सोनप्रयाग में पहाड़ी किचन की शुरुआत हुई है.
उत्तराखंड
केदारनाथ यात्रा में आने वाले कई लोग पहाड़ी खाने का स्वाद लेने की इच्छा रखते हैं. सोनप्रयाग में लोगों को आर्गेनिक पहाड़ी उत्पादों से तैयार खाने का विकल्प देने के लिए
‘पहाड़ी किचन’ की शुरुआत की गई. 24 मई, 2019 को ‘पहाड़ी किचन’ एक प्रयोग के तौर पर शुरु हुआ, लेकिन अपने खास तरह के स्वाद के चलते इसने यहां आने वाले श्रद्धालुओं को आकर्षित किया. नाम के अनुरूप ही यहां पहाड़ी खाने की लगभग हर वैरायटी मिलती है.उत्तराखंड
‘पहाड़ी किचन’ शुरू करने
वाले मनोज सेमवाल के मुताबिक, ‘हम पिछले कई वर्षों से केदार घाटी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. लोग हमें यहां जानते हैं और आए दिन बहुत से युवा हमारे पास रोजगार के लिए आते हैं. इन युवाओं को रोजगार देने के मकसद और केदारनाथ धाम में आने वाले श्रद्धालुओं को पहाड़ की ऑर्गेनिक एवं शुद्ध खाने का स्वाद देने के लिए हमने ‘पहाड़ी किचन’ की शुरुआत की. ‘पहाड़ी किचन’ में इस वक्त 15 लोग काम कर रहे हैं जिसमें 5 लड़कियां भी हैं और यह सारे लोग आसपास के ही गांव के है.’उत्तराखंड
खास बात यह है कि कोरोना
संक्रमण के बाद उत्तराखंड लौटे कई लोगों ने हमसे संपर्क किया. हमारे सामने यह चुनौती भी थी कि इतने अधिक लोगों को कैसे समायोजित किया जाए. इनमें से कई लोग ऐसे थे, जो बाहर देशों में शेफ का काम कर रहे थे लेकिन कोरोना के चलते उनका रोजगार चला गया. इस दौरान पहाड़ी किचन भी बंद था, लेकिन हमने यहां आने वाले लोगों के लिए हाइजीन का ध्यान रखते हुए बेहतर भोजन का विकल्प देने की खातिर इनमें से कुछ लोगों को अपने साथ जोड़ा है. इस बार के यात्रा सीजन में हमारे ग्राहकों को प्रोफेशनल शेफों के हाथों बनी पहाड़ी खाना मिलेगा.उत्तराखंड
उन्होंने बताया कि ‘साल 2015 में हमने केदारनाथ में ‘केदारनाथ किचन’ के नाम से खाने की सेवा दी थी जो लोगों को बहुत पसंद आई, बस उसी को थोड़ा बड़ा और व्यवस्थित कर
हमने ‘पहाड़ी किचन’ की शुरुआत की.’साल 2019 में पहाड़ी किचन का कांसेप्ट सोनप्रयाग में उतारा गया. लोगों का इसे जबरदस्त रिस्पांस मिला. इसके बाद साल 2020 में यात्रा सीजन कोरोना की भेंट चढ़ गया. सीमित समय में जितनी भी यात्रा हुई उसमें भी लोगों ने पहाड़ी खाने में दिलचस्पी दिखाई. यही वजह है कि साल 2021 में पहाड़ी किचन को श्रद्धालुओं के पूरी तरह तैयार किया जा रहा है.उत्तराखंड
‘पहाड़ी किचन’ में लोगों को दाल के पकोड़े, चैंसा, भटवानी, भंगजीर की चटनी, मंडुवे की रोटी-पूरी, चौलाई की रोटी, भांग की चटनी, लाल भात के साथ ही स्पेशल झंगोरे
की खीर, अरसे रोटने परोसे जाते हैं. इससे ना केवल उन्हें पहाड़ी खाने का जायका मिलता है, बल्कि यहां के ऑर्गेनिक उत्पादों का महत्व भी पता चलता है. पहाड़ी किचन के जरिये हमारी कोशिश है कि स्थानीय युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जाए. मनोज सेमवाल बताते हैं कि पहाड़ी किचन’ में शुद्ध शाकाहारी पहाड़ी खाना परोसा जाता है.उत्तराखंड
मनोज सेमवाल बताते हैं कि
पहाड़ी किचन में एक साथ 70 से 80 लोग खाना खा सकते हैं. यहां हम इस्तेमाल होने वाले तमाम उत्पाद स्थानीय लोगों से ही खरीदते हैं. इससे एक तो लोगों को अपने उत्पाद बेचने के लिए कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ती और दूसरा हमें भी ताजी सब्जियां, केमिकल रहित उत्पाद मिल जाते हैं.उत्तराखंड
केदारनाथ के लंबे सफर से पहले
सोनप्रयाग एक ऐसा पड़ाव है, जहां लोग अपनी यात्रा की तैयारी करते हैं. एक तरह से यही केदारनाथ यात्रा का बेस कैंप है. यहां से आगे निजी गाड़ियों को जाने की इजाजत नहीं है. सभी छोटी-बड़ी गाड़ियां यहीं पार्क की जाती हैं. लोग शटल के जरिये गौरीकुंड तक जाते हैं. केदारनाथ के दर्शन कर लौट रहे लोगों को सोनप्रयाग के ‘पहाड़ी किचन’ का खाना यात्रा की थकान के बाद उन्हें तरोताजा कर देता है.चारधाम यात्रा को उत्तराखंड की
अर्थव्यवस्था की धुरी माना जाता है. यात्रा शुरू होने से यहां के कई लोगों को रोजगार मिल जाता है. इन यात्रियों से होने वाली आमदनी से लोग अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. यहां पर आने वाले यात्रियों के लिए आवास, खाने-पीने, वाहन, घोडे़ आदि की व्यवस्था अच्छी तरह से होनी चाहिए, जिससे यहां आने वाले श्रद्धालु अच्छी यादें लेकर जाएं, पहाड़ी किचन की कोशिश यहां आने वाले लोगों को पहाड़ी उत्पादों का बेहतरीन जायका उपलब्ध कराने की है.(हिल-मेल के ताजा अंक से साभार)