उत्तराखंड भाषा संस्थान : नौ साहित्यकारों को उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान

सम्मानित साहित्यकारों को अंगवस्त्र, प्रसस्ति पत्र एवं एक लाख रुपये की सम्मान राशि प्रदान की गई

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज देहरादून में उत्तराखण्ड भाषा संस्थान द्वारा आयोजित साहित्य गौरव सम्मान समारोह तथा लोक भाषा सम्मेलन में प्रतिभाग किया. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रसिद्ध साहित्यकार महावीर रवांल्टा समेत 9 साहित्यकारों को उत्तराखण्ड गौरव सम्मान से सम्मानित किया.

इस अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा जिन साहित्यकारों को प्रतिष्ठित उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया उनमें संतोष कुमार निवारी को चन्द्रकुंवर बर्त्वाल पुरस्कार, अमृता पाण्डे को शैलेश मटियानी पुरस्कार, प्रकाश चन्द्र तिवारी को डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल पुरस्कार, दामोदर जोशी ‘देवांशु’ को भैरव दत्त धूलिया पुरस्कार, राजेन्द्र सिंह बोरा उर्फ त्रिभुवन गिरी को गुमानी पंत पुरस्कार, नरेन्द्र कठैत को भजन सिंह ‘सिंह’ पुरस्कार, महावीर रवांल्टा को गोविन्द चातक पुरस्कार, गुरूदीप को सरदार पूर्ण सिंह पुरस्कार एवं राजेश आनन्द ‘असीर’ को प्रो. उन्नवान चिश्ती पुरस्कार से सम्मानित किया गया. सभी सम्मानित साहित्यकारों को अंगवस्त्र, प्रसस्ति पत्र एवं 01 लाख की सम्मान राशि प्रदान की गई.

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे आयोजनों से प्रदेश में स्थानीय भाषाओं के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में बोली जाने वाली बोलियों व उनमें रचे जा रहे साहित्य को भी प्रोत्साहन मिलेगा. देश के अनेक साहित्यकारों ने हिन्दी को विश्व पटल पर स्थापित करने में महान योगदान दिया है.

उन्होंने कहा कि हमारे यहां गढ़वाली, कुमाऊँनी और जौनसारी बोलियां बोली जाती हैं परन्तु हमारे प्रदेश का हिन्दी से गहरा लगाव है. उन्होंने इसे सुखद संयोग बताया कि साहित्य गौरव सम्मान पाने वाले साहित्यकारों में वे साहित्यकार भी शामिल हैं जो अनेक विशिष्ट बोलियों में रचना कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि जो समाज अपनी भाषा और बोलियों का सम्मान नहीं करता वह अपनी प्रतिष्ठा गवां देता है. अपनी भाषा व बोलियों को बचाने और उन्हें बढ़ाने के कार्य में आम लोगों की व्यापक सहभागिता की जरूरत है. इस महत्वपूर्ण कार्य को हम सभी को अपने घर के भीतर से आरम्भ करना होगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि समान नागरिक संहिता हेतु 12 फरवरी, 2022 को जनता से हमने वादा किया था कि हम समान नागरिक संहिता लाएंगे. इसे लागू करने हेतु गठित समिति द्वारा डेढ़ साल में 2 लाख से भी ज्यादा लोगों के सुझाव, विचार लिए और अब इसका ड्राफ्ट लगभग तैयार है.

इस अवसर पर भाषा विभाग के मंत्री सुबोध उनियाल, अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्व विधालय वर्धा के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र, साहित्यकार एवं पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूडी़, विधायक मोहन सिंह बिष्ट,  प्रमोद नैनवाल आदि उपस्थित थे.

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