बहुविविध आयाम और उदेश्य हैं यह देवेशपथ सारिया जी के रचनात्मक संसार से परिचित होकर मुझे ज्ञात हुआ
सुनीता भट्ट पैन्यूली
कविताएं महज़ कल्पनाओं,मिथक और आस-पास के वातावरण से शरीर ही नहीं धारण करतीं अपितु कविताओं का उद्देश्य किसी संसार की व्यापकता में उसके सामाजिक रूप, संस्कृति, उसके प्राकृतिक सौंदर्य,मानव स्वभाव और वहां के भौगोलिक वातावरण से पाठकों को परिचित कराना भी है. चाहे वह साहित्यिक क्षेत्र हो, समकालीन व
साम्राज्यवादी व्यवस्था हो कवि की मनोदशा या उसके सामाजिक जीवन का संघर्ष हो या उसकी अपने देश के प्रति प्रेम की प्रगाढ भावना हो अथवा उसका वैयक्तिक संघर्ष हो, जिसकी उदेश्य पूर्ति के लिए किसी भी भाषाओं में लिखी गयी कविताओं की विश्वव्यापी संप्रेषणीयता के लिए उनका अनुवाद एक विशिष्ट कारक है जो कविताओं की मूल जड़ों और उसके आच्छन्न उदेश्यों को हर प्रांत व दुनिया के जनमानस तक पहुंचाने का कार्य करती हैं.ज्योतिष
यह कवि का काम है कि उसकी रचनाओं में संप्रेषण की क्षमता हो क्योंकि सरल,सहज भाषा के शब्दों का प्रयोग कविताओं को अर्थ और अनूभूति की नई ज़मीन प्रदान करते हैं.
साथ ही कविताओं का कुनबा यदि विदेशी ज़मीन पर बसा हुआ हो तो यह अनुवादक का काम है उसे अपनी सरजमीं पर बहुत ही सरल और सहज भाषा में अपने स्वदेशी पाठकों तक खींच कर लाये ताकि आमजन उस विदेशी ज़मीन की यात्रा करने में असमर्थ भले ही हो रचनाओं की उड़ान द्वारा ही वहां की आबो-हवा,मिट्टी और वहां की संस्कृति और परिवेश से परिचित हो सकें.ज्योतिष
इसी कार्ययोजन को उसकी सफल
परिणति तक पहुंचाने के लिए देवेश पथ सारिया जी प्रशंसा के पात्र हैं. जैसा कि विभिन्न वैश्विक भाषायी कविताओं का अनुवाद अपनी मूल भाषा में करना इतना आसान नहीं. देवेश जी को इस भगीरथ प्रयास के लिए अनंत शुभकामनाएं.ज्योतिष
संसार की सभी दिशाओं में गढ़ी गयी
महानतम कविताएं, उपन्यास, ग्रंथ, डायरी, संस्मरण, यात्रा वृतांत व्यापक रूप से पढ़े और समझे जाने से वंचित रह जाते यदि उन्हें अनुवादकों के अथक प्रयास और अनुवाद की सुविधा द्वारा एक देश से दूसरे देश तक नहीं पहुंचाया जाता.ज्योतिष
“हक़ीक़त के बीच दरार” दक्षिणी ताइवान के काओशुंग शहर में जन्मे ली मिन-युंग जो कि ताइवान के प्रमुख साहित्यकारों में शुमार हैं वे कवि, आलोचक, निबंधकार और सामाजिक
कार्यकर्ता भी हैं,की कविताओं का संग्रह देवेश पथ सारिया जी द्वारा हिंदी में अनुदित है. देवेश पथसारिया जी वर्तमान में खगोल शास्त्र (फिजिक्स की उपशाखा) में पीएचडी अगस्त 2015 से ताइवान में पोस्टडाक्ट्रल फेलोशिप कर रहे हैं.ज्योतिष
ली मिन-युंग की “हक़ीक़त पर दरार” देवेश पथ सारिया द्वारा अनुदित पैंसठ कविताओं से गुजरते हुए यह स्पष्ट हो जाता है कि सभी कविताएं अनुभूति के चरमोत्कर्ष पर ले जाती हैं.संग्रह की कविताएं समकालीन व्यवस्था और विषयों को सशक्त रूप से उजागर करती हैं. असंबद्ध रूपक और संबंधित कथ्यों के समिश्रण से कविताओं
की गहन, प्रभावपूर्ण व संवेदनशील प्रदर्शनी सी सज गयी है हम पाठकों के समक्ष.भाषा-शैली रोचक व विषय- वस्तु सुखद रूप से कई धारणाओं को तोड़ती हुई दृष्टिगत है जहां कविताएं सामयिक मुद्दों को भी उजागर करती हैं. कविताओं में घाव या पत्ती जैसा शब्द जहां-तहां उजागर हुआ है जो कविता के शिल्प में जान फूंकती हुई सी प्रतीत होती हैं.ज्योतिष
मेरे लिए मूल व प्रतीकात्मक संयोजन से उत्पन्न इन अनूठी कविताओं के सुरों को समझना बहुत जटिल था यदि मैंने श्री जितेन्द्र श्रीवास्तव द्वारा लिखित किताब की भुमिका
“अनुवाद का सौंदर्य और ली मिन-युंग का काव्य-संसार” और श्री कुमार मुकुल द्वारा लिखित “वैश्विकता और स्थानीयता को जोड़ने वाली आत्मालोचना युक्त भावना “को ना पढ़ा होता. कविताओं को समझने में उपरोक्त दोनों ही भुमिकाओं ने महत्त्वपूर्ण ज़िम्मेदारी निभायी है दोनों सुधिजनों को भी शुभकामनाएं.ज्योतिष
विश्वव्यापी सभ्यताओं और संस्कृति
तक पहुंचने के लिए भाषायें दरअसल सशक्त सेतु हैं और अनुवाद सशक्त माध्यम उन्हें अपने देश में आयातित करने का.शताब्दियों के मिलन बिंदु पर प्रार्थना
युद्ध सुपुर्द है इतिहास को
विध्वंश याद को
बूंदाबांदी में घुल गये हैं
प्राकृतिक आपदा से मिले
घाव और आंसू
शताब्दियों के मध्य पुल की भांति
एक इंद्रधनुष खिलता है
समय के समाप्ति बिंदु और आरम्भ पर
बांटता हुआ भूतकाल और भविष्य को
अब शताब्दी की सांध्य बेला है
रात घिरने के बाद
तारे अन्धकार में रास्ता दिखाएंगे
ज्योतिष
उगते हुए सूरज की रोशनी
क्षितिज पर चमकती है
सपने बुनता फारमोसा*
समुद्र के आलिंगन में रहता है
क्षितिज के ऊपर
उसके वासी,एक सुर में पुकारते हैं
ताइवान
*ताइवान का एक पुराना नाम
ज्योतिष
ली मिन- युंग की उपरोक्त कविता में
किसी सकारात्मक आश्वस्ति व समय के समाप्ति बिंदु और आरंभ के संधि स्थल पर एक नयी व उम्मीद से भरे स्वतंत्र उजास के प्रस्फुटित होने का संकेत मिलता है.कहने की आवश्यकता नहीं रोचक बिंबों से युक्त यह सूक्ष्म कविता ताइवान के संपूर्ण इतिहास का दीर्घ परिचय दे जाती है.ज्योतिष
औरतें
जैसा कि किसी भी देश की आर्थिक स्थिती व उसके स्तर का आंकलन करना हो तो वहां की स्त्रियों को देखा जा सकता है. यहां स्त्री विमर्श पर लिखी गयी निम्न कविता
कवि की संवेदनशील सृजनधर्मिता और दायित्वबोध के मजबूत पक्ष को भी उजागर करती है.कानों में सीपियां पहनी हुई
ये औरतें
समुद्र की याद दिलाती हैं
कुछ दूसरी औरतें हैं
जिनकी छाती पर
सलीब लटकी है
जो बताती है
कि वे रहना चाहेंगी
पवित्र अक्षतयोनि
निर्वासित
ज्योतिष
मातृभूमि एक चेतना है
दुखती हुई
यह उद्घाटित होती है
कविता के शब्दों के दरमियां.
यक़ीनन यदि कोई घाव है तो वह दर्द बनकर
कविताओं में शब्दों के माध्यम से रिसेगा ही.यही दर्द हमें ली मिंग-युंग की उपरोक्त कविता में उनकी मातृभूमि के लिए महसूस होता है.यदि तुम पूछो
क्या था ताइवान द्वीप का बीता हुआ कल
मैं तुम्हें बताऊंगा
ताइवान के इतिहास की परतों में लंबे
खून और आंसुओं के बारे में
ज्योतिष
ली मिन युंग का अपने देश के प्रति
अगाध प्रेम पाठकों से छिप नहीं पा रहा है यहां इसलिए भूत के गर्भ में दफ़न उनके देश ताइवान की विध्वंशक युद्ध की ऐतिहासिक हलचल उनकी अधिकांश कविताओं से होकर महसूस किया जा सकता है.पुकार की सीमा में
गर्भाश्य से अभी जन्मा
रोता हुआ बच्चा
सच में
स्त्रीत्व का आमोद है.
ज्योतिष
चूंकि एक मां हूं और प्रसव पीड़ा को
सहने के उपरान्त मात्र सुख का जो अहसास है वह किसी भी सांसारिक सुख से अतुल्य है इसी भाव का चरम उपरोक्त पंक्तियों में निहित है साधुवाद कवि और अनुवादक को.कलम को बेलचे की तरह प्रयुक्त करता
मैं कागज पर मिट्टी खोद रहा हूं
तलाश रहा हूं
अपने देश की विचारधारा की जड़ें.
ज्योतिष
लेखन-कर्म का अभिन्न व ख़ूबसूरत
पक्ष यह भी है कि जो हम कहना चाह रहे हैं वह नहीं लिखकर भी कवि द्वारा रचित शब्द-विन्यास और रूचिकर शैली द्वारा सीधे पाठकों तक पहुंच जाये.यह ज़िम्मेदारी ली मिन -युंग की उपरोक्त पंक्तियों ने बख़ूबी निभाई हैं.दु:ख का अपना सौंदर्य है
जैसे जीवन की यात्रा में
भांति-भांति के पदचिन्ह.
जब दुख को ही सौंदर्य की अनूठी
अनुभूति मान लिया गया है तो उपरोक्त पंक्तियों को लिखने का साहस करने वाले कवि ली मिन -युंग की आत्मा भी निश्चित ही ख़ूबसूरत सौंदर्य का प्रतिबिंब होंगी.ज्योतिष
देवेश पथ सारिया द्वारा अनुदित “हक़ीक़त पर दरार” ली मिन-युंग के व्यक्तिगत कथ्य से सामूहिक चेतनाओं का सारगर्भित सफर हैं. इनकी कविताएं अन्याय से लड़ने का सशक्त औजार भी
प्रतीत होती हैं. साथ ही उनकी कविताओं के माध्यम से उस देश की समकालीन, साम्राज्यवादी व साम्यवादी व्यवस्था, युद्ध,विध्वंश, औपनिवेशवाद, खूनी संघर्ष,सत्ताओं के उलट-पलट,इतिहास,युद्धजन्य परोक्ष विरोध, मौन समर्पण,दुख को बहुत सहज व सरल भाषा शैली में समझाने की कोशिश की गयी है अथार्त कुछ कविताओं में प्रयुक्त शब्दों में सरोकार से संवाद करने की अद्भुत क्षमता है.ज्योतिष
कोई कविताएं मुझे बेतुकी तथा कथ्य व
प्रयुक्त बिंबों में मुझे असमानता महसूस हुई किंतु इसका कारण यह भी हो सकता है कि इन कविताओं की विलक्षणता अनुभव करने में मेरी ही कविताओं के प्रति समझ अपरिपक्व हो?ज्योतिष
देवेश पथ सारिया जी द्वारा अनुदित
ली मिन- युंग जी की कविताओं से होकर गुजरना मेरे लिए किसी विदेशी यात्रा करना जैसा ही था.“हक़ीक़त के बीच दरार” किताब को
पढ़ने का मुझे यह सार्थक हासिल हुआ कि उन कविताओं के सार को समझने से पहले मैंने ताइवान के इतिहास को पढ़ा जिससे मुझे कविताओं को समझने में बहुत मदद मिली.ज्योतिष
साथ ही यह भी महसूस किया कि
सभी देशों की प्रकृति,मिट्टी, पेड़, पत्तियां फूल सभी का एक सा ही तो स्वभाव है सभी समान रुप से अपना काम करते हैं.सभी देशों के इतिहास व काल से
संबद्ध संघर्ष,मत ,विरोध विभिन्न वैचारिक मतों पर आधारित हो सकते हैं किंतु साहित्य और उसमें निहित कवि की सुकोमल इंसानी भावनाऐं तो सभी देशों के लेखक और कवियों की एक सी ही होती हैं.ज्योतिष
युवा कवि व अनुवादक देवेश पथ सारिया को
ताइवान के साहित्य से अपने अथक प्रयासों द्वारा अनुवाद से हम भारतवासियों का परिचय कराने हेतु हार्दिक आभार व शुभकामनाएं.ली मिन-युंग की कविताऐं जो हमारे
वैचारिक धरातल से होकर हृदय पर सीधे ही कदम रखती हैं उनका हमारे देश में पूरी गर्मजोशी से स्वागत होगा ऐसी मुझे पूरी उम्मीद है.हार्दिक शुभकामनाएं ली मिन- युंग को.