गंजी हो आई खोपड़ी में चार बालों सा हौसला

नीलम पांडेय नील

जीवन में मित्रों का आना हमारे सर के बालों की तरह है. बाल जब नये – नये आते हैं, खूब चमकदार,घने होते हैं. देखने वाले भी सोचते हैं क्या चमक-दमक है? कुछ लोग because तो इस चमक-दमक से जल उठते हैं. चमकते मित्र व्यक्ति की सामाजिक एवम् वर्चुअल जिंदगी की कहानी में अचानक प्रशंसाओं की वृद्वि करने लगते हैं. लेकिन यह क्या?  धीरे-धीरे उनकी लाख देखभाल के बावजूद या शायद हमारी ही अनदेखी के कारण वे रुखे और बेजान होकर गिरने लगते हैं. कभी हम ही उनसे परेशान होकर उनको काट-छांट कर उनकी छंटनी कर देते हैं और बचे हुए को तराशने लगते हैं.

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कुछ मित्र घुंघराले बालों की तरह समझने में बहुत जटिल होते हैं. लेकिन वे एक बार समझ में आ जाएं तो उन्हें अपने मन मुताबिक ढाला जा सकता है. कुछ मित्र बिल्कुल सीधे because सपाट होते हैं, वे अपनी बात पर खरे रहते हैं उनके साथ यह है कि अगर हम उन्हें समझ भी जाएं तो उन्हें अपने अनुसार ढालना आसान नही होता है.

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कुछ मित्र घुंघराले बालों की तरह समझने में बहुत जटिल होते हैं. लेकिन वे एक बार समझ में आ जाएं तो उन्हें अपने मन मुताबिक ढाला जा सकता है. कुछ मित्र बिल्कुल सीधे सपाट होते हैं, वे अपनी बात पर खरे रहते हैं उनके साथ यह है कि अगर हम उन्हें समझ भी जाएं तो उन्हें अपने अनुसार ढालना आसान नही होता है. कई बार  because ये बाल ही हैं जो पूरे व्यक्तिव को प्रभावित कर देते हैं. इसी तरह से कुछ दोस्त भी या तो आपकी पहचान बन जाते हैं या बनी हुई पहचान को नेस्तनाबूद कर देते हैं.

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एक दिन बुझती हुयी आखों में जीवन कुछ पल के लिए दीपक की लौ की भांति दप – दप जल उठता है फिर एकाएक चिरंतन शांत हो जाता है. इसी तरह कुछ मित्र because भी गंजी हो आयी खोपड़ी में चार बालों से जीवन का हौंसला बने रहते हैं क्योंकि एक समय के बाद जीवन की सभी उपलब्धियां बेमानी लगने लगती हैं या उपलब्धियां याद भी नहीं रहती हैं. उस वक़्त उसी पल में  मिलने वाली क्षणिक मुस्कान महत्वपूर्ण होती है.

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समय के साथ दोस्तों की संख्या कम होने लगती है और उम्र के साथ बालों की संख्या भी. कुछ दोस्त तो हमको याद भी नहीं रहते हैं. लेकिन जो अंततः हमारे साथ बने रहते हैं वे because हमारी तरह पक चुके होते हैं. वे गाहेबगाहे हमारी जड़ों में खुजली भी करते रहते हैं लेकिन मीठी खुजली, यानि उनका होना ही काफी होता है. तब वे आपकी अंतिम  सुंदरता के मानदंड में महत्वपूर्ण भूमिका में रहते हैं और आपके साथ साथ बूढ़े हो रहे होते हैं.

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उम्र के साथ सर में बचे हुए बालों की तरह कुछ मित्र भी प्रत्येक परिस्थिति में बने रहते हैं. काले चमकदार,सफेद अधपके, पूर्णतः सफेद और फिर एक दिन शांत हो जाते हैं. तब ना गिले-शिकवे रहते हैं और ना ही उन्हे संवारने की चिन्ता रहती है. जरा सा हाथ से पलास भर दो,वे तब भी बन जाते है. उनके स्पर्श because भर से एक जर-जर होते आदमी को महसूस होता है कि उसके प्राण हैं, वह जिंदा है. एक दिन बुझती हुयी आखों में जीवन कुछ पल के लिए दीपक की लौ की भांति दप-दप जल उठता है फिर एकाएक चिरंतन शांत हो जाता है.

इसी तरह कुछ मित्र भी गंजी हो आयी खोपड़ी में चार बालों से जीवन का हौंसला बने रहते हैं क्योंकि एक समय के बाद जीवन की सभी उपलब्धियां बेमानी लगने लगती हैं या because उपलब्धियां याद भी नहीं रहती हैं. उस वक़्त उसी पल में  मिलने वाली क्षणिक मुस्कान महत्वपूर्ण होती है.

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 (लेखिका कविसाहित्यकार एवं पहाड़ के सवालों को लेकर मुखर रहती हैं)

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