प्रकृति और जैविक उत्पादों से दिखाई स्वरोजगार की राह…

  • अनीता मैठाणी

स्थानीय संसाधन आधारित स्वरोजगार को मूल मंत्र मानने वाले निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे जगदम्बा प्रसाद मैठाणी वर्ष 1997 से अपने जन्म स्थान पीपलकोटी चमोली और उसके because आसपास स्वरोजगार के नवाचारी प्रयासों के लिए कृत संकल्प हैं. उनके ज्यादातर मित्र उन्हें जेपी के नाम से जानते हैं. शुरुआत में नेशनल एडवेंचर फाउंडेशन से जुड़े होने की वजह से एडवेंचर टूरिज्म और इकोटूरिज्म के प्रति सदैव because रूझान रहा. लेकिन वो जानते थे कि उत्तराखंड में इकोटूरिज्म या इससे मिलते-जुलते स्वरोजगार के संसाधन जैसे- जैविक उत्पाद, हस्तशिल्प, जड़ी-बूटी की खेती और फल तथा उद्यानिकी पहाड़ों में रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं.

उत्तराखंड

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वरोजगार के ना होने की वजह से ही पलायन हो रहा है. इसलिए अगर स्थानीय संसाधनों जैसे उद्यानिकी, बायोटूरिज्म, so जैविक खेती, जड़ी-बूटी की खेती, फलदार, चारा और सजावटी पेड़-पौधों की नर्सरी को स्थापित करने और संचालित करने के लिए अगर हम पहाड़ में ही युवाओं को इस कार्य को करने के लिए प्रेरित करें तो उनको बेहतर रोजगार मिलेगा but और मजबूरी का पलायन जो सिर्फ रोजी-रोटी के लिए है उस तरह का पलायन भी नहीं करना पड़ेगा. इन्हीं महत्वपूर्ण बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए 5 दिसम्बर 1997 को उन्होंने सोसायटी फॉर कम्यूनिटी इन्वॉल्वमेन्ट इन डेवलपमेन्ट (एसएफसीआईडी) के नाम से एक सामाजिक संस्था का गठन किया. और वर्ष 1999 के मार्च माह में आए भूकम्प ने उन्हें पीपलकोटी में ही रह कर काम करने के लिए स्वयं और स्थानीय युवाओं को प्रेरित किया.

पर्यावरण

तब यूएनडीपी, पर्यावरण शिक्षण केन्द्र so और वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार जिसे अब वन, पर्यावरण एवं क्लाइमेन्ट चेंज मंत्रालय भारत सरकार के नाम से जाना जाता है के सहयोग से पीपलकोटी चमोली में राज्य के पहले बायोटूरिज्म पार्क की स्थापना की. वे बताते हैं कि इस कार्य को आगे बढ़ाने मे सबसे अधिक सहयोग तत्कालीन ग्राम प्रधान स्व. श्रीमती नंदी वर्मा, स्व श्री कैलाश लाल साह, स्व. श्री अब्बल सिंह तड़ियाल और उनकी टीम के सदस्यों ने किया.

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आज इस बायोटूरिज्म पार्क से कई स्थानीय युवाओं और महिलाओं को अलग-अलग प्रकार के रोजगार प्राप्त हो रहे हैं. जिनमें से प्रमुख हैं- रिंगाल हस्तशिल्प, प्राकृतिक रेशा- भांग, कंडाली but और भीमल आधारित स्वरोजगार, नर्सरी, फल संरक्षण, ट्रैकिंग-टूर आदि. हालांकि बाद में सोशियल आर्मी (गांव-गांव में सामाजिक कार्य हेतु गठित युवाओं के समूह) और क्षेत्र के महिला मंगल दलों के साथ चलाये गये शराब विरोधी आंदोलन के चलते उन्हें कुछ सफेद पोश व्हाइट कॉलर बुद्धिजीवियों (जो अपने आपको समाजसेवक कहते हैं) के द्वारा किये गये षडयंत्र की वजह से जनपद because चमोली के शराब विरोधी आंदोलन में फंसा दिया गया और उन्हें 22 दिन जेल में रहना पड़ा. लेकिन रिकॉर्ड समय में न्याय मिला और निर्दोष साबित हुए. तब संकल्प लिया कि पीपलकोटी में कभी भी शराब का ठेका नहीं खुलने देंगे.

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ये संकल्प आज भी जारी है, because इसी संघर्ष के दौर में पूर्व में बनाये गये स्वयं सहायता समूहों के प्रतिनिधियों और शुभेच्छुओं की प्रेरणा से नये सामाजिक संगठन के रूप में आगाज फैडरेशन के नाम से नया आगाज किया, इसका पूरा नाम (अलकनन्दा घाटी शिल्पी फैडरेशन) है.

स्थानीय स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए पिछले 16 वर्षों से पर्यटन, तीर्थाटन, जड़ी-बूटी खेती, स्थानीय परंपरागत फसलों का संरक्षण एवं खेती, उद्यानिकी के क्षेत्र में पीपलकोटी में because सर्वाधिक प्रजाति के अखरोट, हैजलनट, पीकन नट, चेस्टनट, आड़ू, पोलम, कीवी, खुमानी, परसीमन का जीन बैंक बायोटूरिज्म पार्क में स्थापित किया जा रहा है. इस कार्य में 56 से अधिक यूथ जुड़े हुए हैं.

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पिछले 16 वर्षों में उत्तराखंड बांस एवं रेशा विकास परिषद (Uttarakhand Bamboo and Fiber Development Board – UBFDB) के सहयोग से 19 मास्टर ट्रेनर because प्रशिक्षित किये जो आज विभिन्न विभागों और एजेन्सियों में प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार चला रहे है. आगाज और बैम्बू बोर्ड के संयुक्त प्रयासों के बाद बनी स्वायत्त सहकारिताओं में से एक हिमालयी स्वायत्त सहकारिता और जिला उद्योग केन्द्र चमोली द्वारा because हाल में पीपलकोटी में रिंगाल काष्ठ हस्तशिल्प ग्रोथ सेन्टर की स्थापना की गयी है. जिसका लोकार्पण 9 नवम्बर 2020 को राज्य के माननीय मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने किया. आज इस ग्रोथ सेन्टर से 200 से अधिक अलग-अलग शिल्प कलाओं के हस्तशिल्पी जुड़े हुए हैं.

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पूर्व में संस्था द्वारा हिमोत्थन सोसायटी के सहयोग और नवाजबाई रतन टाटा ट्रस्ट के सहयोग से डांस कंडाली आधारित परियोजना संचालित की. जिसमें जनपद चमोली के 100 से अधिक बुनकर तथा रेशा उत्पादक जुड़े हुए थे. वर्तमान में ये समूह स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहे हैं. because पीपलकोटी में ही वर्ष 2005-06 में सबसे पहले औद्योगिक भांग आधारित स्वरोजगार का कार्य प्रारंभ हुआ बाद में नंदप्रयाग घाट रोड पर स्थित मंगरोली में नंदाकिनी स्वायत्त सहकारिता से जुड़ी 26 से अधिक महिलायें औद्योगिक भांग और डांस कंडाली का कुटीर उद्योग उत्तराखंड बांस एवं रेशा विकास परिषद के सहयोग से संचालित कर रही हैं.

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बायोटूरिज्म के बारे में बताते हुए जे पी मैठाणी कहते हैं कि- आपने अधिकतर प्रकृति पर्यटन या इकोटूरिज्म के बारे में ही ज्यादा सुना होगा इकोटूरिज्म का सीधा-सीधा सम्बन्ध हमारी इकोलॉजी, because पर्यावरण और इकोनॉमी से जुड़ी हुई है. जबकि हमारा मानना है इकोलॉजी या इकोनॉमी बाद में आती है पहले बायोम है यानी जीवन का प्रादुर्भाव और प्रकृति से अंतर्सम्बन्ध। इसी मूल आधार को ध्यान में रखते हुए पीपलकोटी में because प्रदेश के पहले बायोटूरिज्म पार्क की स्थापना की गयी जहां से आज तक सैकड़ों युवाओं, किसानों को प्रशिक्षित किया गया है साथ ही साथ संस्था में समय समय पर कार्य करने वाले अलग-अलग कार्यकर्ताओं में अनेक अलग क्षेत्रों में अपने अलग-अलग उद्यम स्थापित किये हैं या वे अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी सेवायें दे रहे हैं.

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डाबर इंडिया (Dabur India) के साथ मिलकर वर्तमान में 400 से अधिक किसान परिवारों because को कुटकी, कपूर कचरी, क्वीराल, वरूणा, लोध्रा की खेती का प्रोत्साहन दिया जा रहा है. कंडाली की चाय, रोजहिप टी, ऑरेंज पील, स्थानीय दालें एवं अनाज, मंडुवा, झंगोरा, राजमा, चैलाई आदि के उत्पादों के विपणन में कई परिवारों को रोजगार दिया गया है.

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केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के माध्यम से संस्था द्वारा 25 युवाओं को नेचर गाइड, मधुमक्खी पालन और ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रोत्साहित कर उन्हें स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार देने का प्रयास because किया जा रहा है. नॉट ऑन मैप कम्पनी के साथ मिलकर संस्था द्वारा जनपद चमोली में 10 से अधिक होम स्टे स्थापित किये गये जिन्हें स्वतंत्र रूप से उनके स्वामी स्वयं चला रहे हैं. साथ ही पीपलकोटी के आसपास के 6 ट्रैकिंग रूट विकसित किये जा रहे हैं.

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पीपलकोटी फल संरक्षण केन्द्र के माध्यम से कई परिवारों को समय-समय पर रोजगार दिया जाता है, नर्सरी के माध्यम से नियमित रूप से 4 परिवारों को पिछले 16 वर्षों से रोजगार दिया जा रहा है. because यही नहीं पीपलकोटी में ओपन क्लासेस के माध्यम से माइक्रोप्लानिंग, पीआरए का प्रशिक्षण, स्वयं सहायता समूह गठन एवं प्रबंधन, मधुमक्खी पालन, जैविक खेती, नर्सरी स्थापना, प्राकृतिक रेशा प्रोसेसिंग एवं डिगमिंग का प्रशिक्षण, रॉक क्लाइम्बिंग, टूर ट्रैवल गाइड, बर्ड वॉचिंग आदि कई प्रशिक्षण कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित किये जाते हैं जिनका प्रमुख उद्देश्य बेरोजगारों को स्थानीय संसाधन आधारित स्वरोजगार प्रदान करना है.

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हाल ही में संस्था को पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने हेतु उत्तराखंड पर्यावरण सम्मान 2016 अर्थ-डे नेटवर्क द्वारा ट्रीज फॉर अर्थ के अलावा ‘देवभूमि रत्न’ सम्मान दिया गया. because पूर्व में वर्ष 2005 में वॉशिंगटन डीसी (Washington, D.C.) में वर्ल्ड बैंक (World Bank) द्वारा वर्ल्ड बैंक रिकगनिशन अवार्ड वॉशिंगटन में दिया गया. इससे पहले सीएसआर टाइम्स और प्लस एप्रोच फाउंडेशन द्वारा दधीचि अवार्ड, केदारनाथ आपदा के पश्चात राहत सामग्री वितरण और पुनर्वास के प्रयासों के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा द्वारा 13 दिसम्बर 2013 को सम्मानित किया गया. आगाज फैडरेशन उत्तर भारत में अर्थ चार्टर इंटरनेशनल, साउथ एशिया यूथ इन्वायरन्मेन्ट नेटवर्क द्वारा मान्यता प्राप्त एकमात्र संस्था है.

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पिछले 23 वर्षों में सामाजिक क्षेत्र में काम करते हुए जे.पी. मैठाणी बताते हैं कि पारिवारिक सहयोग, अच्छे मित्रों और मार्गदर्शकों, टीम, स्थानीय जन प्रतिनिधियों के साथ-साथ स्थानीय जन समुदाय के सहयोग के बिना सामाजिक कार्य बहुत मुश्किल है. आप पर कई तरह की जिम्मेदारियां होती हैं. दूसरी ओर सामाजिक संगठनों के because प्रति वर्तमान सरकार का रवैया सहयोगात्मक नहीं है. सरकारी विभागों में परियोजनाओं के स्वीकार कर लिए जाने के बाद फंड समय पर नहीं मिलता, कमीशनखोरी आज भी जारी है. लेकिन हमारे प्रयास जारी हैं क्योंकि हमें पहले से पता था कि इस क्षेत्र की चुनौतियां क्या हैं. इसलिए निराश नहीं होते और लगातार प्रयासरत हैं. बात जारी है वो कहते हैं अपने-अपने हिस्से का संघर्ष जारी है लेकिन जिस पहाड़ ने हमको इस लायक बनाया है उसके लिए कुछ करना है. वो मुस्कुराकर गुनगुनाते हैं-

रास्ता है लम्बा भाई मंजिल है दूर, 
मिलके चलेंगे जीतेंगे जरूर.

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