सीमांत का शख्स​ जि​सने अहम भूमिका निभाई प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ प्रसारण में 

37 वर्ष आकाशवाणी की सेवा करने के उपरांत 31 मई 2024 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं मुनस्यारी के मनोहर सिंह रावत

Pramod Kumar Vats

प्रमोद कुमार वत्स

आकाशवाणी के राष्ट्रीय चैनल आकाशवाणी दिल्ली के कार्यक्रम प्रमुख मनोहर सिंह रावत अपने जीवन के लगभग 37 वर्ष आकाशवाणी की सेवा करने के उपरांत 31 मई 2024 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. मनोहर सिंह रावत ने सितंबर 1987 में  देवभूमि उत्तराखंड के सुदूर भारत चीन सीमावर्ती जिले पिथौरागढ़ से आकर देश की  राजधानी दिल्ली में आकर पहली बार एक महानगर की जिंदगी देखी. साधारण पृष्ठभूमि और निम्न  मध्यम वर्गीय परिवार में  जन्मे  मनोहर सिंह रावत, गाँव  मुनस्यारी के मूल निवासी हैं. यह क्षेत्र आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है, जहां शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति आज भी देश के अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा बहुत पिछड़ी हुई है. ऐसी विषम और विकट परिस्थितियों में एक कड़ा संघर्ष करने के उपरांत मनोहर सिंह रावत ने देश की सर्वोत्तम सांस्कृतिक संस्था में प्रवेश किया प्रसारण निष्पादक के रूप में 1987 में. इस महानगर में ना कोई आशियाना था, ना कोई आसरा, ना ही किसी से कोई विशेष परिचय.

पर्वतीय क्षेत्र के लोगों के  जीवन  में  वैसे  भी  कठिनाइयों की  कोई  कमी  नहीं होती पर मैदानों में आकर जीवन यापन करना सबसे कठिन निर्णय होता है. ये निर्णय लेना मनोहर सिंह रावत के लिए भी आसान नहीं था लेकिन विकल्प भी कोई नहीं था. परिवार के संस्कार, काम के प्रति समर्पण, सच्चाई और ईमानदारी के साथ श्री मनोहर सिंह रावत ने प्रसारण निष्पादक के रूप में कार्य आरंभ किया. क्योंकि अभी तक का जीवन संघर्ष और कठिनाइयों से भरा था तो कठिन परिश्रम की आदत भी थी तो इन्होंने ऑफिस के विभिन्न कार्यों में भी सहयोग देना आरंभ किया और जल्द ही महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों के निर्माण में, विशिष्ठ कार्यक्रमों के आयोजनों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे. ये वो समय था जब आकाशवाणी में कार्यक्रमों के format में और तकनीक में परिवर्तन हो रहे थे.

Short wave और medium wave के साथ-साथ FM mode आ रहा था और कार्यक्रम प्रस्तुति के अंदाज और  सलीखे में बदलाव आ रहा था. Recording, Editing, Dubbing, Production and Programme Presentation सहित सभी Digital Technology को अपना रहे थे, ऐसे में श्री मनोहर सिंह रावत ने वर्तमान तकनीक के साथ साथ Digital technology को सरलता से सीखकर सफलता से अपना लिया. इस बीच 1997 में मनोहर सिंह रावत कार्यक्रम अधिकारी के रूप में पदोन्नत होकर 6 माह के लिए आकाशवाणी मथुरा चले गए लेकिन आकाशवाणी दिल्ली पर इनकी आवश्यकता को देखते हुए इन्हें शीघ्र ही आकाशवाणी दिल्ली बुला लिया गया . श्री रावत ने कार्यक्रम अधिकारी के रूप में Sports section,  Hindi Spoken Word के विभिन्न कार्यक्रमों के साथ साथ अखिल भारतीय स्तर के अनेक कार्यक्रम के दायित्वों का निर्वहन किया.

Sports में इनकी स्वाभाविक रुचि थी और इन्होंने Sports कार्यक्रमों की प्रस्तुति में नए प्रयोग किए. आज Sports commentaries से  पूर्व में, मध्य में और अंत में जो विशेष कार्यक्रम होते हैं और जिनमें विशेषज्ञों के साथ श्रोताओं की भागीदारी भी होती है ये विशेष कार्यक्रम श्री रावत की ही सोच का ही परिणाम है. मनोहर सिंह द्वारा आकाशवाणी के खेल कार्यक्रमों को लोकप्रिय बनाने और श्रोताओं के लिए अधिक रूचिकर बनाने के कारण इनका नाम Doha और Incheon में आयोजित हुए एशियाई खेलों और राजधानी में 2012 में आयोजित हुए commonwealth games में आकाशवाणी coverage team में रखा, साथ ही इन्होंने ICC world Cup के सिलसिले में दो बार श्री लंका में आकाशवाणी commentary team का नेतृत्व किया. श्री रावत ने आकाशवाणी के Sports programme में जो विशेष बदलाव किए उनमें मुख्य हैं- use of attest technique and format, communication of latest updates/ information supported by authentic  sound bytes and resource person सबसे पहले,  सबसे तेज  सबसे विश्वसनीय.

Sports के साथ साथ श्री रावत जनहित में आम आदमी की दैनिक जीवन की समस्याओं और उनके समाधान के लिए आकाशवाणी पर अनेक कार्यक्रम करते रहे जिनमें Public Grievances पर आधारित live phone in  Programme को विशेष सफलता मिली. लगभग 15 वर्ष तक श्री रावत ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया और  भारत सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकायों,  Public sector Undertakings, Autonomous Bodies/Institutions के सक्षम अधिकारियों को कार्यक्रम में बुलाकर लोगों की समस्याओं से अवगत करवाया और लोगों को अपनी बात की सीधे कहने का अवसर दिया. इस phone in programme और ऐसे ही कितने ही Public grievances के कार्यक्रम श्री रावत के निर्देशन में हुए जिनकी success stories की सूची भी बड़ी लम्बी है.

Sports के साथ साथ श्री रावत का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा देश की सेवा कर रहे वीर जवानों के योगदान को आकाशवाणी के माध्यम से highlight करने का. Military/ Defence/ Para Military forces / Police force सभी संस्थाओं के बलिदान और शौर्य पर आधारित कार्यक्रमों के निर्माण में इन्होंने विशेष भूमिका निभाई. 2008- 2009 के अपनी लेह में posting के दौरान इन्होंने  सेना और पुलिस के जवानों के जीवन को नजदीक से देखा और इनके जीवन पर  आधारित कार्यक्रमों के निर्माण की प्रेरणा ली.

लेह से पुनः आकाशवाणी दिल्ली आने पर श्री रावत को एक अलग तरह की  भूमिका मिली जो तत्कालीन केंद्र निदेशक की दृष्टि में केंद्र सबसे महत्वपूर्ण अनुभाग था और जिसका  दायित्व केंद्र के सबसे परिश्रमी और सबसे मेधावी कार्यक्रम अधिकारी को ही दी जा सकती थी और उनकी पहली पसंद बने श्री मनोहर सिंह रावत. श्री रावत जो स्वभावतः भारत सरकार के कर्त्तव्य निष्ठ सेवक रहे हैं उन्होंने भी केंद्र निदेशक को निराश नहीं किया बल्कि उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप Hindi Talks section को नई उछाल दी. अखिल भारतीय कार्यक्रमों में भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रियों, मंत्रालय के सचिवों, संस्थाओं के महानिदेशक, मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की भागीदारी होने लगी और विषय भी वो रखे गए जिनका सम्बन्ध अंतिम जन से था, एक आम भारतीय से था.

इस अनुभाग में रहते हुए रावत जी ने डाक्टर राजेंद्र प्रसाद स्मारक व्याख्यान, सर्व भाषा कवि सम्मेलन, शाम की चाय जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन सफलता से किया.

Sports कार्यक्रमों में  अधिक  रुचि  रखने  वाले  अधिकारी  का Hindi talks में जाना वास्तव में वर्तमान के साथ भविष्य की भी आवश्यकता थी जिसके बारे में केवल विधाता जानता था या समय. वर्ष 2014 में देश को प्रधानमंत्री के  रूप में  मिले  युगपुरुष श्री नरेंद्र मोदी, जिन्होंने अपने कुशल नेतृत्व से  देश को  विकसित करने का कार्य  आरम्भ किया  और विश्व पटल पर  देश का  मान  सम्मान  बढ़ाया देश और इसी क्रम में आकाशवाणी की लोकप्रियता बढ़ी प्रधान मंत्री की मन की बात से. अक्टूबर 2014 में जब माननीय प्रधान मंत्री ने मन की बात के माध्यम देशवासियों से आकाशवाणी के माध्यम से सीधे संवाद का निर्णय किया तो आकाशवाणी में इस कार्यक्रम के संयोजन का संपूर्ण दायित्व भी पहले ही अपने कार्यों की सफलता से अपनी क्षमता सिद्ध कर चुके श्री मनोहर सिंह रावत को ही देना उचित समझा गया. आदरणीय प्रधान मंत्री जी  का निजी कार्यक्रम होने के कारण और आकाशवाणी का अति

विशिष्ठ कार्यक्रम होने के कारण इसमें  श्री मनोहर  सिंह  रावत की  भूमिका  के बारे में अधिक विस्तार से तो नहीं बताया जा सकता किन्तु आकाशवाणी के लिए यह गर्व की बात है कि अक्टूबर 2014 से लेकर फरवरी 2024 तक केवल लोक सभा चुनाव के दौरान ( 2019 और 2024) आचार संहिता का पालन करते हुए प्रधान मंत्री जी मन की बात के 110 episode आकाशवाणी के माध्यम से प्रसारित किए हैं.

November 2022 में श्री रावत ने आकाशवाणी दिल्ली के कार्यक्रम प्रमुख का कार्य सम्भाला . अब इनके व्यक्तित्व और कृतित्व के वे सभी पक्ष देखने को मिले जिनको अभी तक अवसर नहीं  मिला था किंतु पृष्ठभूमि तैयार हो चुकी थी, विचार परिपक्व थे, योजना बन चुकी थी, इरादे नेक थे और समय आ गया था आकाशवाणी दिल्ली के सभी कार्यक्रमों को जो covid काल में पीछे चले गए थे उन्हें पुनः आरंभ करने और नई पहचान देने की, सबसे अधिक महत्वपूर्ण था कलाकारों  को अवसर देने और श्रोताओं को जोड़ने का प्रयास. इसी क्रम में आरंभ हुए आमंत्रित श्रोताओं के समक्ष कार्यक्रम  – माटी के रंग ( लोक संगीत पर आधारित ), Swaranjali (classical and light music) , युवा कवि प्रतिभाओं के लिए कविताओं की संगीतमय प्रस्तुति.

G-20 सम्मेलन देश लिए एक प्रतिष्ठित कार्यक्रम था. श्री रावत के नेतृत्व में July 2023 से September 2023 के बीच G 20 के उपलक्ष्य और सफलता को celebrate करने के लिए लोगों के बीच जाकर देश की संस्कृति और संगीत का प्रचार प्रसार करने के कुल 27 कार्यक्रम किए गए जिनमें से अधिकांश युवाओं के लिए थे जिनका आयोजन schools , colleges, Universities के साथ Atari Border (BSF के सहयोग से) , CISF Indirapuram में CISF के सहयोग से और देश के पहले गाँव माणा में किया गया.

मनोहर सिंह रावत 37 साल आकाशवाणी की सेवा करने के उपरांत 31 मई 2024 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. इनका कार्यकाल आकाशवाणी के इतिहास में सदैव एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, याद किया जाएगा. हर महत्वपूर्ण कार्य और आयोजन यथा स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, लोक सेवा प्रसारण दिवस, Parliament sessions, आकाशवाणी संगीत सम्मेलन, National Symposium of Poets, Dr Rajendra Prasad Memorial lecture, Sardar Patel Memorial lecture में इनकी भूमिका और योगदान को सदा याद किया जाएगा.

आकाशवाणी दिल्ली में  राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के एकमात्र आगमन की स्मृति में आज बापू स्टूडियो है, भारत रत्न पंडित रवि शंकर संगीत स्टूडियो है,  social media cell है, Radio  museum की तैयारी है जो ही शीघ्र ही पूरा होगा और जब जब इनके बारे में बात होगी तो दिल और दिमाग में एक ही तस्वीर होगी जुबाँ पर एक ही नाम होगा- मनोहर सिंह रावत.

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