पौड़ी गढ़वाल के लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) अनिल चौहान बने देश के नए सीडीएस
लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) अनिल चौहान को केंद्र सरकार ने नया चीफ ऑफ डिफेंस नियुक्त किया है. इससे पहले जनरल बिपिन रावत 31 दिसम्बर 2019 भारत के पहले सीडीएस बने थे. जनरल रावत की एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी उस समय उनके साथ उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 12 सुरक्षा कर्मियों की मौत हो गई थी. जबकि एक सुरक्षा अधिकारी की मृत्यु बाद में हुई. जनरल बिपिन रावत मृत्यु के बाद यह पद काफी महीनों तक खाली पड़ा था.
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान इससे पहले नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में सैन्य सलाहकार की अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं. वह सेना के पूर्वी कमान का जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ रहे हैं. उन्हें साल 2019 में यह जिम्मेदारी दी गई थी. चीन के साथ चल रहे गतिरोध को देखते हुए देश की पूर्वी कमान का काम काफी अहम होता है. ऐसे में बहुत नाजुक हालात में उन्होंने देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र की सुरक्षा का जिम्मा संभाला था.
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को मुखौटा जमा करने का नायाब शौक है. उनके पास दुनिया भर के मुखौटों का बेहतरीन कलेक्शन है. वह बताते हैं कि शुरुआत में नेपाल से कुछ मुखौटे खरीदे. यह महज सजाने के लिए थे लेकिन जब उन्हें अंगोला जाने का अवसर मिला तो वह एक अलग संस्कृति थी. दूसरे उपमहाद्वीप अंगोला में मुखौटा का उद्देश्य ही अलग था. इसके बाद से मेरा मुखौटा जमा करने का शौक बढ़ता चला गया.
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान इससे पहले महानिदेशक सैन्य अभियान की जिम्मेदारी भी संभाली. 11 गोरखा राइफल में 1981 को कमीशन लेने वाले लेफ्टिनेंट जनरल चौहान को जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के राज्यों में आतंकरोधी अभियानों का खासा अनुभव है. उन्होंने अंगोला में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत सेवाएं भी दी हैं.
उन्होंने भारत-चीन सीमा पर महत्वपूर्ण योगदान देने के साथ हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ बालाकोट एयरस्ट्राइक में अहम भूमिका निभाई थी. पूर्वी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान की निगरानी में उत्तरी सीमाओं पर मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए नवगठित 17 कोर में इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप की अवधारणा को आकार दिया जाना शुरू हुआ.
खडकवासला स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और देहरादून की भारतीय सैन्य अकादमी के पूर्व छात्र रहे लेफ्टिनेंट जनरल चौहान का विभिन्न कमांड, स्टाफ और निदेर्शात्मक नियुक्तियों में एक प्रतिष्ठित करियर रहा है. लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, सेना मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल से अलंकृति किया जा चुका है. वह उत्तराखंड के पौड़ी जिले के रहने वाले हैं.
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को मुखौटा जमा करने का नायाब शौक है. उनके पास दुनिया भर के मुखौटों का बेहतरीन कलेक्शन है. वह बताते हैं कि शुरुआत में नेपाल से कुछ मुखौटे खरीदे. यह महज सजाने के लिए थे लेकिन जब उन्हें अंगोला जाने का अवसर मिला तो वह एक अलग संस्कृति थी. दूसरे उपमहाद्वीप अंगोला में मुखौटा का उद्देश्य ही अलग था. इसके बाद से मेरा मुखौटा जमा करने का शौक बढ़ता चला गया.
उन्हें जब भी दुनिया के किसी भी हिस्से में जाने का मौका मिलता है, तो मुखौटा जरूर खरीदते हैं. लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के पास इस समय 160 मुखौटों का कलेक्शन है. वह कहते हैं, अगर कोई मुखौटा किसी संस्कृति का प्रतीक होता है तो मैं उसे जरूर खरीदता हूं.