- नितीश डोभाल
“नमक स्वाद अनुसार”
आपने ये बात कहीं न कहीं जरूर सुनी होगी और इसी से हमको नमक की जरूरत का भी पता चलता है. सदियों से नमक हमारे भोजन का बड़ा ही महत्वपूर्ण अंग रहा है. खाने की ज्यादातर चीजों में नमक का प्रयोग ही इसकी उपयोगिता को सिद्ध करने के लिए काफी है. नमक न केवल खाने में स्वाद बढ़ाता है बल्कि यह खाने की कुछ चीजों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के काम भी आता है. हमारे रोज के भोजन में इस्तेमाल होने के अलावा नमक दवाओं, सौंदर्य प्रसाधनों और घरेलू नुस्खों में भी प्रयोग किया जाता है.नमक
वैसे तो नमक के कई प्रकार हैं, साधारण समुद्री नमक, हिमालयन नमक, कोशर नमक, सेंधा नमक आदि. इन सब में सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है
साधारण नमक. साधारण नमक से जुड़ी कई कहावतें, किस्से-कहानियाँ हमको सुनने को मिल जाती हैं जिससे पता चलता है कि नमक का मानव जीवन के साथ गहरा संबंध है. पुरानी सभ्यताओं के इतिहास से भी नमक के प्रयोगों की जानकारी मिलती है.नमक
हमारे प्रदेश उत्तराखंड की
बात करें तो नमक से जुड़ी अनेक कहानियाँ सुनने को मिलती हैं. पुराने समय में, ढाकरियों (मालवाहकों) द्वारा घोड़े-खच्चरों द्वारा नमक को मैदानी क्षेत्रों से खरीद कर पहाड़ों में पहुँचाया जाता था. इस प्रकार दूरवर्ती पहाड़ी अंचलों में नमक एक लंबी यात्रा कर के पहुँचता था.नमक
रोज के भोजन में नमक के
सामान्य प्रयोग के अतिरिक्त हमारे गाँवों में नमक को मसालों के साथ सिलबट्टे में पीस कर भी प्रयोग किया जाता है. पहाड़ी बोलियों में नमक को सामान्यतः “लूण” कहा जाता है और मसालों के साथ सिलबट्टे में हाथ से पिसे इस लूण/नमक को इसके अलग रंग, स्वाद, महक और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. इस सिलबट्टे के पिसे नमक की खास बात यह है कि आपको इसके कई रूप और स्वाद देखने को मिल सकते हैं जो स्थान विशेष पर निर्भर करते हैं.नमक
इस नमक को
बनाने में लोग स्थानीय कृषि उत्पादों का ही प्रयोग करते हैं जिनमें लहसुन, अदरक, मिर्च, जीरा, सरसों, पुदीना, हरा धनिया, भंगजीरा, चोरु, मुर्या आदि प्रमुख हैं. इन उत्पादों को साधारण नमक के साथ मिला कर और सिलबट्टे में पीस कर फिर अलग-अलग स्वाद, रंगत और महक वाले नमक तैयार किए जाते हैं. ये नमक न केवल स्वाद को बढ़ाते हैं बल्कि ये मसालों और अन्य उत्पादों से मिलकर बने होने के कारण स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बड़े लाभदायक होते हैं.नमक
सिलबट्टे में पिसे इन नमकों को सबसे ज्यादा खटाई, सलाद, पहाड़ी खीरा (ककड़ी), मंडुए की रोटी, अंगारों में भुने आलू, कचालू, उबली दालों,
कचमोली (भुना हुआ बकरे का मांस) आदि के साथ खाया जाता है. नमक में पिसे हुए मसालों से इन सभी चीजों का स्वाद और भी बढ़ जाता है. इनके अलावा पिसे नमक को दही, मठ्ठा, रायता, भेल, सेव जैसी चाट में भी प्रयोग करके आप इनके अलग स्वाद का मज़ा ले सकते हैं. सिलबट्टा नमक को लंबे समय तक आप सुरक्षित रख सकते हैं और आवश्यकता अनुसार इनका प्रयोग भी कर सके हैं. नए स्वाद को तलाशते भोजनप्रेमियों के लिए ये पिसे नमक किसी सौगात से कम नहीं हैं.नमक
सिलबट्टा नमक की लोकप्रियता
को देखते हुए अब उत्तराखंड के पिसे नमक को घर-घर पहुँचाने के लिए कई प्रतिष्ठान हैं जो इनके व्यावसायिक उत्पादन पर भी जोर दे रहे हैं. जिससे लोगों को पहाड़ी उत्पादों और पहाड़ी स्वादों के मेल से बने ये नमक बहुत आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं. जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में आमदनी के नए आयाम स्थापित हो रहे हैं. वैसे देखा जाए तो सिलबट्टा नमक केवल एक खाने की चीज न होकर उत्तराखंड की संस्कृति, यहाँ के लोगों का परिश्रम, आम जन जीवन के दर्शन का प्रतीक भी है जो अपने स्वाद के साथ-साथ इन सबको भी अन्य लोगों तक पहुँचाने में अपना योगदान दे रहा है.(अनुवादक और लेखक)