हुनर को मिला मंच और सपनों को लगे पंख

सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था सार्थक प्रयास के वार्षिकोत्सव पर बच्चों ने दी प्रस्तुति, ‘दृष्टि का हुआ लोकार्पण’

  • हिमांतर ब्यूरो, नई दिल्ली

सचमुच प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती. यह बात एक बार फिर साधनविहीन बच्चों ने सही साबित की. इन बच्चों को जब मंच मिला तो इन्होंने एक से बढ़कर एक ऐसे कार्यक्रम प्रस्तुत किए कि सभागार में बैठा हर व्यक्ति तारीफ किए बगैर नहीं रह पाया. मौका था सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था ‘ *सार्थक प्रयास’ के 12वें स्थापना दिवस का. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के हिन्दी भवन में संस्था के बच्चों ने विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं. इस अवसर संस्था की वार्षिक स्मारिका ‘दृष्टि’ का लोकार्पण भी किया गया. इस समारोह में अल्मोड़ा जनपद के चैखुटिया और वसुंधरा के बच्चों ने बहुत उत्साह और आत्मविश्वास से अपनी प्रस्तुतियों से लोगों का मन मोह लिया.

संस्था के अध्यक्ष उमेश चंद्र पन्त ने बताया कि , ‘सार्थक प्रयास’ पिछले 12 वर्षों से आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर बच्चों के शिक्षा की व्यवस्था के अलावा उनमें रचनात्मकता के साथ आत्मविश्वास पैदा करने के लिए लगातार काम कर रहा है. संस्था ने अपनी सामाजिक यात्रा के इन पड़ावों में कई तरह से जरूरतमंद लोगों की मदद की है. गाजियाबाद के वसुंधरा क्षेत्र के झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों का पढ़ाने से शुरू हुई इस मुहिम ने बाद में आपदा और कोविड-19 तक हर समय आम लोगों की तकलीफों के साथ खड़े रहकर मदद की है. उत्तराखंड मे 2010 में आई आपदा और केदारनाथ में 2013 की आपदा में संस्था ने प्रभावित लोगों कर मदद की. राहत कार्यो में भी अपनी भूमिका निभाई. पिछले दो-तीन सालों में कोविड के समय दवाओं के वितरण, लोगों को उनके घर पहुंचाने और जरूरतमंद लोगों तक राशन पहुंचाने का काम किया. अभी संस्था वसुंधरा, चौखुटिया और केदार घाटी में 150 के लगभग बच्चों के शिक्षा की व्यवस्था करती है. इन तीनो जगहों पर पुस्तकालयों की स्थापना कर बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ाने का काम भी कर रही है.

‘सार्थक प्रयास’ के 12वें स्थापना दिवस पर बच्चों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सभी ने प्रशंसा की. इस मौके पर अल्मोड़ा जनपद के चैखुटिया से आये बच्चों ने सरस्वती वंदना, कुमाउनी लोकगीतों, लोकनृत्यों और नृत्य नाटिका से दर्शकों का मन मोह लिया. वसुंधरा के बच्चों ने राजस्थानी लोकगीत-नृत्य, नुक्कड़ नाटक, थीम सांग प्रस्तुत किये. इस मौके पर संस्था की वार्षिक स्मारिका ‘दृष्टि’ लोकार्पण किया. स्मारिका का इस बार ‘प्रकृति, मानव और कोविड’ विषय पर केन्द्रित थी. इससे पहले संस्था के बारे में एक डाॅक्यूमेंटरी भी दिखाई गई. कार्यक्रम के पहले दिन चालीस बच्चों को दिल्ली के विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कराया गया. दिल्ली मेट्रो में सफर के अलावा बच्चों ने इंडिया गेट, वार मैमोरियल, राष्ट्रपति भवन के अलावा आकाशवरणी का भ्रमण किया.

कार्यक्रम का संचालन हंसा अमोला और सिद्धांत सतवाल ने किया. अंत मे रवि शर्मा ने सभी मेहमानों का धन्यवाद दिया. कार्यक्रम में चारु तिवारी, पवन तिवारी, सुषमा पन्त, राजेन्द्र भट्ट और संस्था के बहुत से गणमान्य लोग उपस्थित थे.

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