टैपिओका: गरीबों का भोजन!
हिमालयन अरोमा भाग-3
मंजू काला
यदि किसी पहाड़ी से यह पूछा जाय की उनकी माँ, काकी, बडी, उपवास के दिन कौन से फल को खाकर पूरा दिन निराहारः रहतीं थीं तो सबका यही उत्तर होगा की “तेडू़”, यानी के टैपिओका (Tapioca). हमारे पहाड़ में शिवरात्रि के अवसर पर तैडू़- और पके हुए कद्दू को उबालकर खाने की परंपरा रही है.
गढ़वाल हिमालय में शिवरात्री के दिन शाकाहारी आहार और प्रसाद के तौर पर इसे विशेष रूप से ग्रहण किया जाता है. अच्छा वर पाने के लिए पहाड़ी बनिताएं तरूड़ का फल भोले बाबा को अर्पण करती हैं. तरूड़ (तल्ड) एक तरह का कंद है, जिससे पहाड़ में सूखी तरकारी बनाई जाती है, रसे वाला साग बनता है, स्वाले बनाये जाते हैं, रैत बनाया जाता है, पकौड़े बनाये जाते हैं, स्नैक्स के तौर पर भी इसका आनंद पहाड़ी लोक के द्वारा उठाया जाता है.
जंगलों में घसियारी महिलाओं के द्वारा इस फल को बोनस के रूप में घास...