कुमाऊंनी लोकसाहित्य में प्रतिबिंबित ग्वेलदेवता का राजधर्म
राज्य में किया दबंगई का उन्मूलन, प्रजा को दिलाया इंसाफ का राज
डॉ. मोहन चंद तिवारी
आज इस लेख के माध्यम से कुमाऊंनी भाषा के लोककवियों के आधार पर उत्तराखंड के न्याय देवता ग्वेलज्यू के राजधर्म की अवधारणा पर चर्चा की जा रही है. कुमाऊं भाषा के जाने माने रंगकर्मी तथा साहित्यकार स्व. श्री ब्रजेन्द्र लाल शाह जी द्वारा रचित ‘श्रीगोलू-त्रिचालीसा में न्याय देवता ग्वेलज्यू के राजधर्म का भव्य निरूपण हुआ है. महाभारत के शांतिपर्व में उल्लेख आया है कि राजधर्म में विकृति आने पर सर्वत्र समाज में 'मात्स्यन्याय' की प्रवृत्ति फैल जाती है. यानि जैसे बड़ी मछली छोटी मछली को निगल जाती है.उसी प्रकार अराजकता पूर्ण समाज में भी बाहुबली और धनबली जैसे ताकतवर लोग निर्बल और असहाय लोगों का शोषण करने लगते हैं और उन्हें सताने लगते हैं.
कुमाऊं भाषा के जाने माने रंगकर्मी तथा साहित्यकार
राज्य संस्था का मकसद ही है इस...