Tag: सेब

प्रयोग ही परिवर्तन के संवाहक बनेगें

प्रयोग ही परिवर्तन के संवाहक बनेगें

साहित्‍य-संस्कृति
इन्‍द्र सिंह नेगी ये प्रयोग कितना सफल-असफल होता है ये भविष्य के गर्भ में है लेकिन चलना शुरू करेगें तभी कहीं ना कहीं पहुंच पायेगें ये लगभग चार वर्ष पहले की बात है जेठ का समय रहा और हमारे दो परिवारों के बच्चे सौरभ, कनिष्क, कुलदीप,  शुभम एवं रवि समर जेस मोटर मार्ग जो because लखस्यार से निकल कर फिलहाल कचटा गांव में समाप्त हो रहा है, से लगी हमारी पारिवारिक so जमीन जो बजंर हो चुकी थी ने गड्ढे खोदने शुरू किए. एक दिन मुझे भी इन्होने अपने इस कार्य को देखने के लिए आने को कहा तो मैं भी समय निकाल कर चल दिया, रस्ते में जब हम साथ-साथ खेतों की तरफ बढ़ने लगे तो मैंने पूछा कि तुम लोगों को ये गड्ढे खोदने की क्या सूझी तो so कहने लगे कि जरूरी नहीं पढ़ाई लिखाई करने के बाद नौकरी लग ही जायेगी इसलिए जरूरी है इस तरह के कामों को भी साथ-साथ आगे बढ़ाया जाए. मैंने कहा ये तो बहुत दूरदर्शिता पूर्ण बात कह दी तु...
वीरान होती छानियां

वीरान होती छानियां

उत्तराखंड हलचल
आशिता डोभाल डांडा छानी (गौशाला)- पहाड़ों में हर मौसम के अनुसार और खेती-बाड़ी के अनुसार लोगों ने छानियां बनाई हुई रहती थी जिससे उन्हें अपनी खेती—बाड़ी के काम और चारा—पत्ती लाने में किसी भी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े, इससे उनका समय भी बचता था और समय पर उनका काम भी निपटता था. उनकी समय सीमा भी निर्धारित रहती थी कि किस समय और किस मौसम में वो कौन—सी जगह की छानी में उनको रहने जाना है, उस हिसाब से फसल बोना और अपनी जरूरत का सामान जुटाकर जाना होता था. मार्च माह के मध्य में मैं और मेरे साथ मेरे गांव के दो चार लोग हम बुरांश लेने अपने गांव की डांडा छानी गए बल्कि जाना तो उससे भी ऊपर था और गए भी. सच कहूं तो बुरांश लेने जाना तो एक बहाना था मुझे तो उन छानियों को देखना था, जो कभी पशुओं और इंसानों से गुलजार हुआ करती थी, आज वो बिल्कुल निर्जन जंगल भी कहूं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. छानियां बिल्क...