Tag: शिमला

उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव के खिलाफ मुकदमा दर्ज, विधायक भी नामजद

उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव के खिलाफ मुकदमा दर्ज, विधायक भी नामजद

हिमाचल-प्रदेश
शिमला : हिमाचल के राजनीतिक तूफान का कनेक्शन उत्तराखंड से जुड़ गया है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव राकेश शर्मा के खिलाफ शिमला में मुकदमा दर्ज किया गया है। हिमाचल कांग्रेस के बागी विधायकों के साथ ही निर्दलीय विधायक भी हैं।हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार पर छाया राजनीतिक संकट नया रूप लेने लगा है। कांग्रेस के दो विधायकों भुवनेश्वर गौड़ व संजय अवस्थी ने निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा व अयोग्य ठहराए गए कांग्रेस के विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा के विरुद्ध प्राथमिकी करवा दी। राकेश शर्मा उत्तराखंड के मुख्य सचिव रह चुके हैं। इस बीच कांग्रेस ने केंद्रीय पर्यवेक्षकों के सुझाव पर समन्वय समिति का गठन कर दिया है, जिसमें मुख्यमंत्री सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के साथ स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल, पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर व राम लाल ठाकुर क...
महाराज ने बस संचालन के लिए हिमाचल के परिवहन मंत्री से किया अनुरोध, पत्र भेजकर रखी मुद्दे की बात

महाराज ने बस संचालन के लिए हिमाचल के परिवहन मंत्री से किया अनुरोध, पत्र भेजकर रखी मुद्दे की बात

देहरादून
देहरादून। हनोल स्थित महासू मंदिर में देव दर्शनों के लिए जागरा (देवनायणी) राजकीय मेला पर्व पर उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों सहित के सीमावर्ती राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा एवं सुरक्षा के लिए राज्य सरकार आयोजन के बेहतर प्रबंधन में लगी है। हम सभी को सदभाव के साथ जांगड़े को सम्पन्न करवाने में अपना सहयोग देना चाहिए। उक्त बात प्रदेश के संस्कृति, धर्मस्व, पर्यटन, सिंचाई, लोक निर्माण, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण एवं जलागम, मंत्री सतपाल महाराज ने हनोल स्थित महासू मंदिर एवं दसऊ स्थित चालदा महाराज मंदिर परिसर में जागरा (देवनायणी) राजकीय मेला पर्व की तैयारियां को लेकर कही। उन्होंने कहा कि जौनसार बाबर के प्रमुख तीर्थ स्थल हनोल मंदिर में पूजा दर्शन के लिए हर वर्ष जांगड़े में हिमाचल से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसलिए उन्होंने हिमाचल से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए हिमाचल के उपम...
भारत में पहली बार ‘मॉन्क फल’ की खेती

भारत में पहली बार ‘मॉन्क फल’ की खेती

खेती-बाड़ी, हिमाचल-प्रदेश
सीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर द्वारा की पहल जे.पी. मैठाणी/हिमाचल ब्यूरो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) (World Health Organization (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 422 मिलियन लोग मधुमेह से पीड़ित हैं. अतिरिक्त गन्ना शर्करा के सेवन से इंसुलिन प्रतिरोध, टाइप 2 मधुमेह, यकृत की समस्याएं, चयापचय सिंड्रोम, हृदय रोग आदि जैसी अनेक जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं. इस संबंध में, कम कैलोरी मान के कई सिंथेटिक because मिठास वाले पदार्थ हाल ही में फार्मास्युटिकल और खाद्य उद्योगों ने बाज़ार में उतारे हैं. हालांकि, आम तौर पर उनके संभावित स्वास्थ्य संबंधी कारणों के चलते उनकी व्यापक स्वीकार्यता को सीमित करती है. इसलिए, दुनिया भर के वैज्ञानिक सुरक्षित और गैर-पोषक प्राकृतिक मिठास के विकास पर लगातार काम कर रहे हैं. ज्योतिष यह पौधा लगभग 16-20 डिग्री सेल्सियस के वार्षिक औसत तापमान और आर्द्र प...
साईबो को पाप

साईबो को पाप

उत्तराखंड हलचल, किस्से-कहानियां
सुभाष तराण 1815 के बाद जब जौनसार-बावर और देवघार फिरंगी सरकार के अधीन आया तो उन्होने सबसे पहले पडौस की शिमला रेजीडेंसी को देहरादून से जोडने के लिये एक नए अश्व मार्ग का निर्माण किया. यह रास्ता मसूरी, यमुना पुल नागथात चकराता त्यूनी मुन्धोल से मुराच़, छाज़पुर, खड़ा पत्थर, कोटखाई होते हुए शिमला तक जाता था. कारी-किश्ते के अलावा इस रास्ते पर घोड़े पालकियों पर सफर करने वाले अंग्रेजी हाकिमों ने बरे-बेगार की जिम्मेदारी स्थानीय स्याणों को दे रखी थी. अंग्रेजी साहिबों के आवागमन के दौरान गाँव व सदर (क्षेत्र) स्याणे बड़ी मुस्तैदी के साथ अपने अपने इलाकों में उनकी खिदमत का प्रबंध करते और हारी बेगारी करवाने के लिये अपने गाँव और क्षेत्र के भोले भाले लोगों को उनकी सेवा में पठाते. बोझा ढोने को अपनी नियती मानने वाले इस क्षेत्र के लोग भी बिना किसी हिला हवाली के ईमानदारी के साथ खुद को प्रस्तुत करते और इंग्लिश बह...
एक घुमक्कड़ की गौरव गाथा-दुनिया ने माना, हमने भुलाया

एक घुमक्कड़ की गौरव गाथा-दुनिया ने माना, हमने भुलाया

संस्मरण
पंडित नैन सिंह रावत (21 अक्टूबर, 1830-1 फरवरी, 1895) डॉ. अरुण कुकसाल 19वीं सदी का महान घुमक्कड़-अन्वेषक-सर्वेक्षक पण्डित नैन सिंह रावत (सन् 1830-1895) आज भी ‘‘सैकड़ों पहाड़ी, पठारी तथा रेगिस्तानी स्थानों, दर्रों, झीलों, नदियों, मठों के आसपास खड़ा मिलता है. लन्दन की रॉयल ज्‍यॉग्रेफिकल सोसायटी, स्‍टॉटहोम के स्वेन हैडिन फाउण्डेशन, लन्दन की इण्डिया आफिस लाइब्रेरी, कलकत्ता के राष्ट्रीय पुस्तकालय, दिल्ली के राष्ट्रीय अभिलेखागार, देहरादून के सर्वे ऑफ इण्डिया के दफ्तरों में नैन सिंह, अन्य पण्डितों, मुन्शियों तथा उनके तमाम गौरांग साहबों को अर्से से शोधार्थी अभिलेखों में विराजमान देखते रहे हैं.’’ (एशिया की पीठ पर, पण्डित नैन सिंह रावत, पृष्ठ-21) पण्डित नैन सिंह रावत का जन्म उत्तराखंड में जोहार इलाके के गोरी नदी पार भटकुड़ा गांव में 21 अक्टूबर, 1830 को हुआ था. उनका पैतृक गांव मिलम था. उस दौरा...