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उत्तराखंडी बच्चे अब दिल्ली में सीखेंगे लोक वाद्य और नाटक!

उत्तराखंडी बच्चे अब दिल्ली में सीखेंगे लोक वाद्य और नाटक!

दिल्ली-एनसीआर
गढ़वाली, कुमाऊनी, जौनसारी भाषाओं के साथ इस बार नाटक और लोकगीत की विद्या भी सिखाई जायेगी – डॉ. विनोद बछेती बच्चों के पास मातृभाषा में सुनने और बोलने के अवसर तो रहते हैं, पर सुनने-सुनाने के लिए शैक्षिक सामग्री का अभाव रहता है. यदि बच्चे की मातृभाषा को प्रारम्भिक स्तर पर उसकी शिक्षण प्रक्रिया में शामिल किया जाये तो वह तेजी से सीखता है. मातृभाषा में सीखना और सिखाना बच्चे के लिए कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण होता है. मां अपनी भाषा में जो सिखाती है उसे बच्चा आसानी से खुशी-खुशी सीखता है. अपने परिवार समाज से बच्चा बहुत कुछ ज्ञान सहजता और सरलता से अर्जित करता है जिसका माध्यम मौखिक मातृभाषा ही होती है. उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच लगातार बच्चों को लोक भाषाएं सिखाने का काम कर रहा है. उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच ने पिछले वर्ष उत्तराखंड की लोक भाषाएं सीखने वाले बच्चों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित कि...