Tag: मनरेगा

उत्तराखंड में स्‍वरोजगार का जरिया बन सकती है कैमोमाइल की खेती

उत्तराखंड में स्‍वरोजगार का जरिया बन सकती है कैमोमाइल की खेती

खेती-बाड़ी, ट्रैवलॉग
मंजू दिल से… भाग-17 मंजू काला जहाँ... कैमोमाइल का फूल सुंदरता, सादगी because और शांति का प्रतीक माना जाता है, वहीं निकोटिन रहित होने के कारण  यह औषधीय गुणों से भरपूर होता है. पेट के रोगों के लिए यह रामबाण औषधि है, वहीं त्वचा रोगों में भी कैमोमाइल काफी लाभकारी है. यह जलन, अनिद्रा, घबराहट और चिड़चिड़ापन में... भी लाभकारी है. कोलकाता उत्तराखंड के... परिपेक्ष में इस जादू के फूल की...बात करें... तो भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड के गांवों से हो रहे पलायन ने खेती... और… किसानी को गहरे तक प्रभावित किया है. because अविभाजित उत्तर प्रदेश में यहां आठ लाख हेक्टेयर में खेती होती थी, जबकि 2.66 लाख हेक्टेयर जमीन बंजर थी. राज्य गठन के बाद अब खेती का रकबा घटकर सात लाख हेक्टेयर पर आ गया है, जबकि बंजर भूमि का क्षेत्रफल बढ़कर 3.66 लाख हेक्टेयर हो गया है. सगंध खेती की मुहिम अब राज्य के 109 एरोम...
जनपद पौड़ी में लोकपाल पद पर नियुक्त हुए डॉ. अरुण कुकसाल

जनपद पौड़ी में लोकपाल पद पर नियुक्त हुए डॉ. अरुण कुकसाल

सोशल-मीडिया
वरिष्ठ समाज विज्ञानी, प्रशिक्षक, लेखक एवं घुमक्कड़ डॉ. अरुण कुकसाल को भारत सरकार के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी 'मनरेगा' से सम्बद्ध so शिकायतों के निवारण एवं उनके अनुश्रवण के लिए जनपद पौड़ी में लोकपाल के पद पर नियुक्त होने पर सभी क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर है. ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना उत्‍तराखंड गढ़वाल के चामी गांव (असवालस्यूं) में 8 अक्टूबर, 1959 को जन्मे डॉ. अरुण कुकसाल ने उत्तर because प्रदेश एवं उत्तराखंड में विभिन्न विभागों में अपनी सेवाएं दी हैं. अर्थशास्त्र में पीएच.डी. डॉ. कुकसाल हिमालयी समाज के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक मुद्दों के गहन जानकार हैं. वे विगत कई वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं तथा because सोशियल मीडिया में नियमित रूप से लेखन में सक्रिय हैं. उद्यमिता विकास, यात्रा, साहित्य तथा सांस्कृतिक विषयों पर उनकी 7 पुस्तकें प्रका...
कोरोना काल में चर्चा में आईं मनरेगा 

कोरोना काल में चर्चा में आईं मनरेगा 

समसामयिक
डॉ. राजेंद्र कुकसाल आजकल सोशल मीडिया पर मनरेगा चर्चाओं में हैं,  हासिये पर चल रही यह योजना अचानक सुर्खियों में आगयी क्योंकि हुक्मरानों को इस योजना के माध्यम से वेरोजगार प्रवासियों के लिए रोजगार की संभावनाएं दिखाई देने लगी. समय-समय पर मैं मनरेगा योजना से जुड़ा रहा. राज्य में चल रही मनरेगा योजना पर अपना व्यक्तिगत अनुभव साझा कर रहा हूं. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना,  जिसे भारत सरकार ने सितंबर  2005 को पार्लियामेंट से पास करा कर कानूनी दर्जा दिया गया. यह योजना दो फरवरी, 2006 को देश के 200 जिलों में शुरू की गयी  अगले बर्ष यानी 2007 में इसे और 130 जिलों में विस्तारित किया गया. वर्ष 2008-09 में पहली अप्रैल से यह देश के सभी 593 जिलों में लागू की गयी. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) एक कानून है, जो शासन को इस बात के लिए बाध्य करता है कि ...