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आज भी प्रासंगिक हैं ‘गांधी-गीता’ के प्रजातांत्रिक मूल्य

आज भी प्रासंगिक हैं ‘गांधी-गीता’ के प्रजातांत्रिक मूल्य

साहित्‍य-संस्कृति
डॉ. मोहन चंद तिवारी प्रोफेसर इन्द्र की 'गांधी-गीता' दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के स्नातक स्तर के 'भारतीय राष्ट्रवाद' के पाठ्यक्रम में निर्धारित एक महत्त्वपूर्ण रचना है. यह पुस्तक सन् 1950 में प्रकाशित हुई थी जो अब दुर्लभप्राय है.मैं अपने फेसबुक पर गांधी जयंती, गणतंत्र दिवस स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय महोत्सवों के अवसर पर because लिखे लेखों में प्रोफेसर इन्द्र द्वारा रचित इस 'गांधी-गीता' के बारे में प्रायः चर्चा करता रहता हूं. राजनैतिक जगत में भारतीय राष्ट्रवाद और प्रजातांत्रिक मूल्यों का देश में आज जिस प्रकार से क्षरण हो रहा है,उसे देखते हुए भी देश में प्रजातांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए गांधीवादी चिंतन आज भी जनोपयोगी और प्रासंगिक भी है.गांधी चिंतन के इसी सन्दर्भ में यह लेख भी लिखा गया है. प्रवासी भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के पिछले सौ वर्षों के इतिहास की ओर नजर दौड़ाएं ...