Tag: पत्रकार

पत्रकारों के लिए हर महीने लगेगा 2 दिन नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर

पत्रकारों के लिए हर महीने लगेगा 2 दिन नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर

देहरादून
हिमांतर ब्यूरो, देहरादून राजधानी देहरादून में विचार एक नई सोच संस्था द्वारा पत्रकारों व उनके परिजनों के लिए नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया. उत्तराखंड के जाने-माने फिजीशियन व because कॉर्डियोलाजिस्ट डॉ एसडी जोशी देहरादून ने पत्रकारों व उनके परिजनों की स्वास्थ्य जांच कर आवश्यक परामर्श दिया. डॉ एसडी जोशी की मेडिकल टीम द्वारा ईसीजी व शुगर की जांच निशुल्क की गई. जबकि लाइफ केयर पैथोलॉजी सेंटर द्वारा ब्लड की बिभिन्न जांचों पर 60 प्रतिशत छूट प्रदान की गई. ज्योतिष जानकारी के मुताबिक देहरादून के रिस्पना पुल आईएसबीटी रोड़ स्थित प्रसार भारती दूरदर्शन केन्द्र के सामने विचार एक नई सोच संस्था द्वारा पत्रकारों व उनके परिजनों के लिए नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया. नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर का शुभांरभ समाजसेवी विनोद रावत व डॉ एसडी जोशी ने संयुक्त रूप से किया. because इस दौरान बड़...
राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस: पत्रकारों की सामाजिक सुरक्षा देने की मांग

राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस: पत्रकारों की सामाजिक सुरक्षा देने की मांग

देहरादून
राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस पर संगोष्ठी आयोजन,  फर्जी मुकदमों और बढ़ते हमलों पर जताई चिन्ता हिमांतर ब्यूरो, देहरादून राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस के अवसर पर आज राजधानी देहरादून में पत्रकारों ने एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस आयोजन पर पत्रकारों ने मौजूूदा समय में पत्रकारिता की चुनौतियों because और समस्याओं पर चर्चा की. पत्रकारों ने इस बात की चिंता जताई कि मौजूदा समय में पत्रकारों पर हमले बढ़ गये हैं और उनकी सुरक्षा को लेकर खतरा है. आयोजन में उपस्थित सभी पत्रकारों ने अपनी सुरक्षा और सुविधाओं को लेकर सरकार से वार्ता करने की बात कही. साथ ही कहा गया कि पत्रकार और उनके आश्रितों के लिए कल्याणकारी योजनाओं पर जोर दिया जाएगा. ज्योतिष संगोष्ठी में पत्रकारों ने सरकार से मांग की कि कोरोना काल में प्रभावित पत्रकारों के परिजनों को आर्थिक सहयोग के साथ ही उनको सरकारी नौकरी भी दी जाए. साथ ही because म...
घासी, रवीश कुमार, और लिट्टी-चौखा

घासी, रवीश कुमार, और लिट्टी-चौखा

साहित्यिक-हलचल
ललित फुलारा एक बार मैं घासी के साथ रिक्शे पर बैठकर जा रहा था. हम दोनों एक मुद्दे को लपकते और दूसरे को छोड़ते हुए बातचीत में मग्न थे. तभी पता नहीं उसे क्या हुआ? नाक की तरफ आती हुई becauseअपनी भेंगी आंख से मेरी ओर देखते हुए बोला 'गुरुजी कॉलेज भी खत्म होने वाला है.. जेब पाई-पाई को मोहताज है.. खर्च बढ़ता जा रहा है.. घर वालों की रेल बनी हुई है.. नौकरी की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं दिख रही. भविष्य का क्या होगा पता नहीं!' घासी चेले के भविष्य की जरा-सी भी चिंता नहीं है आपको. जब देखों चर्चाओं का रस लेते रहते हो.' उसके मुंह से यह बात सुनकर मुझे बेहद शर्मिंदगी हुई. रिक्शे में एक butऔर व्यक्ति बैठे थे. जब हम तीनों एक साथ उतरे उन्होंने घासी से कुछ कहना चाहा पर उसने उनको अनदेखा कर दिया. मेरे हाथ से बटुआ लिया.. तीस रुपये निकालकर रिक्शे वाले को थमाए और आगे बढ़ गया. घासी उसकी बात एकदम सही थी....