निर्मल की निर्मलता और कर्म सिंह की कर्मकता ने धर्मावाला को बनाया बागवानी का धाम
जौनसार के निर्मल तोमर के झोली में एक और राष्ट्रीय पुरस्कार
भारत चौहान
देहरादून से जब आप शिमला बाईपास होते हुए स्वामी विवेकानंद हेल्थ मिशन अस्पताल धर्मावाला पहुंचेंगे, तो वहां से पांवटा रोड पर 1 किलोमीटर आगे चलकर दाहिने हाथ की तरफ एक 'निर्मल नर्सरी' का बोर्ड लगा हुआ है. 50 कदम चलने के बाद लगभग 15 बीघे में विभिन्न प्रजातियों वाले पौधों की नर्सरी आपको देखने को मिलेगी. जिसकी खास बात यह है कि आम और बाँज के वृक्ष साथ-साथ दिखाई पड़ते हैं.
इस लेख में कर्म सिंह और निर्मल दो नाम आए हैं. यह दोनों ही पिता- पुत्र हैं. कर्म सिंह जी उद्यान विभाग उत्तराखंड से 2003 में सेवानिवृत हो चुके हैं. सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य बागवानी ही बना लिया. इसके लिए उन्होंने पहले ही धर्मावाला में 20 बीघा जमीन खरीद कर बागवानी का काम शुरू कर दिया था. बेटे निर्मल को पढ़ा- लिखा कर उन्हें भी बागवानी क...