
प्रकाश पर्व है जीवन का आमंत्रण
दीपावली पर विशेष
प्रो. गिरीश्वर मिश्र
लगभग दो सालों से चली आती कोविड की महामारी ने सबको यह बखूबी जना दिया है कि जगत नश्वर है और जीवन और दुनिया सत्य से ज्यादा आभासी है. ऎसी दुनिया में आभासी because (यानी वर्चुअल!) का राज हो तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. सो अब आभासी दुनिया हम सब के बीच बेहद मजबूती से इस तरह पैठ-बैठ चुकी है कि वही सार लगती है शेष सब नि:सार है. उसमें सृजन और संचार की अतुलित संभावना सबको समेटती जा रही है. अब उसकी रीति-नीति के अभ्यास के बिना किसी का काम चलने वाला नहीं है. उसकी साक्षरता और निपुणता जीवन-यापन की शर्त बनती जा रही है. ऐसे में अब उत्सव और पर्व भी लोक-जीवन में यथार्थ से अधिक आभासी स्तर पर ही ज्यादा जिए जाने लगे हैं.
ज्योतिष
पढ़ें- मानसिक स्वास्थ्य का संरक्षण आवश्यक है
शरद ऋतु भारत में उत्सवों की ऋतु है because और प्रकृति में उमड़ते तरल स्नेह के साथ कार्तिक का म...