टैगोर का शिक्षादर्शन- ‘असत्य से संघर्ष और सत्य से सहयोग’
रवीन्द्र नाथ टैगोर की पुण्यतिथि (7 अगस्त,1941) पर विशेष
डॉ. अरुण कुकसाल
‘किसी समय कहीं एक चिड़िया रहती थी. वह अज्ञानी थी. वह गाती बहुत अच्छा थी, लेकिन शास्त्रों का पाठ नहीं कर पाती थी. वह फुदकती बहुत सुन्दर थी, लेकिन उसे तमीज नहीं थी.
राजा ने सोचा ‘इसके भविष्य के लिए अज्ञानी रहना अच्छा नहीं है’....उसने हुक्म दिया चिड़िया को गंभीर शिक्षा दी जाए.
पंडित बुलाए गए और वे इस निर्णय पर पंहुचे कि चिड़िया की शिक्षा के लिए सबसे जरूरी हैः एक पिंजरा. और फिर पिंजरे में रखकर चिड़िया ज्ञान पाने लगी. लोगों ने कहा ‘चिड़िया के तो भाग्य जगे!’....
‘महाराज, चिड़िया की शिक्षा पूरी हो गई’.
राजा ने पूछा, ‘वह फुदकती है?
भतीजे-भानजों ने कहा, ‘नहीं !’
‘उड़ती है?’
‘एकदम नहीं!’
‘चिड़िया लाओ,’ राजा ने आदेश दिया.
चिड़िया लाई गई. उसकी सुरक्षा में कोतवाल, सिपाही और घुड़सवार साथ चल रहे थे. राजा ने चिड़िया को उंगली से ...