Tag: तिब्बत

एक वर्जित क्षेत्र की कथा यात्रा

एक वर्जित क्षेत्र की कथा यात्रा

पुस्तक-समीक्षा
आशुतोष उपाध्याय तिब्बत पुरातन काल से ही वर्जित because और रहस्यमय रहा है. एक अत्यंत कठिन और दुर्गम भूगोल जहां जीवित रहने के लिए शरीर भी अपनी जैविक सीमाओं का विस्तार चाहता है. यह भी कम आश्चर्यजनक नहीं कि बेहद दुष्कर व जन विरल होने के बावज़ूद तिब्बत यूरेशियाई ताक़तों की टकराहट और ज़ोर-आज़माइश का अखाड़ा बना रहा. आज 21वीं सदी में दुनिया के ‘ग्लोबल’ हो जाने के बाद भी तिब्बत की वर्जनाएं कमोबेश जस की तस हैं. ज्योतिष मेरे लिए तिब्बत से पहला परिचय उन शरणार्थी परिवारों के ज़रिये हुआ, जो पिछली सदी के 60वें दशक में दलाई लामा के पीछे चलकर भारत पहुंचे और विभिन्न पहाड़ी इलाकों में बसाए गए. हमारे छोटे से पहाड़ी क़स्बे में भी कुछ तिब्बती परिवारों की आमद हुई. कुछ अलग तरह की वेशभूषा पहने तिब्बती महिलाएं सड़क के किनारे औरतों व बच्चों के सस्ते सामान और कुछ हिमालयी मसाले आदि बेचा करती थीं. because उनके घरों में ...
ग़म-ए-ज़िदगी तेरी राह में

ग़म-ए-ज़िदगी तेरी राह में

संस्मरण
बुदापैश्त डायरी-14 डॉ. विजया सती ग़म-ए-ज़िदगी तेरी राह में, शब-ए-आरज़ू तेरी चाह में .............................जो बिछड़ गया वो मिला नहीं ! बुदापैश्त शान्दोर कोरोशी चोमा के लिए हम यही कह सकते हैं! so बुदापैश्त जाकर इन्हें जानना संभव हुआ क्योंकि हंगेरियन इंडोलोजी के इतिहास में कोरोशी चोमा का काम मील का पत्थर माना जाता है. बुदापैश्त ट्रांससिल्वानिया, (अब रोमानिया में) के कोरोश because गाँव में जन्मे चोमा ने अध्ययन के दौरान बहुत सी भाषाओं पर अच्छा अधिकार पाया, इनमें मुख्य थीं- ग्रीक और लैटिन, हिब्रू, फ्रेंच, जर्मन और रोमानियन भी. चोमा ने तुर्की और अरबी भाषा भी सीखी. अपने भारत प्रवास में चोमा ने संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं पर भी अधिकार प्राप्त करने के लिए प्रयास किया. बुदापैश्त एक समय उनकी दिलचस्पी हंगेरियन लोगों के मूल स्थान की खोज में हुई. भाषिक संबंधों के आधार पर इ...
पंडित नैन सिंह रावत: महान लेकिन गुमनाम अन्वेषक

पंडित नैन सिंह रावत: महान लेकिन गुमनाम अन्वेषक

इतिहास
जिन्होंने हिमालय को नापा और तिब्बत की खोज की प्रकाश चन्द्र पुनेठा हमारे देश भारत में अनेक महान, साहसी तथा कर्तब्यनिष्ठ व्यक्तियों का जन्म हुवाँ है. जिन्होंने बिना किसी लोभ मोह लालसा के, अपने प्राणों का मोह त्याग कर अपने कर्तव्य का निर्वाह किया है. असाधारण कर्मठता व प्रतिभा के विरले व्यक्तित्व के महान व्यक्तियों ने भारत के प्रत्तेक कालखण्ड में जन्म लिया है. पराधीन भारत की सत्ता केन्द्र के शीर्ष में बैठे शासकों ने उनको यथा योग्य सम्मान भी दिया था. विदेशों का बौद्धिक वर्ग भी उनकी असाधारण कर्मठता एवम् विद्वता का कायल हुवाँ था. because लेकिन स्वतंत्र भारत में उनको वह सम्मान नही मिला, जिस सम्मान के वह अधिकारी थे. महान विश्वविख्यात अन्वेषक पंडीत नैन सिंह रावत भी देश की अनमोल व विरल विभूतियों में से एक थे. नैन सिंह पंडीत नैन सिंह रावत का जन्म सीमांत जिला पिथौरागढ़ के मुनस्यारी तहसील के...