Tag: चन्द्रशेखर तिवारी

हरिबोधनी एकादशी यानी ‘बुढ़ दिवाई’ अथवा ‘इगास’

हरिबोधनी एकादशी यानी ‘बुढ़ दिवाई’ अथवा ‘इगास’

लोक पर्व-त्योहार
चन्द्रशेखर तिवारी दीपावली पर्व के बाद जो एकादशी आती है वह  सामान्यतः हरिबोधनी एकादशी  के नाम से जानी जाती है. इस एकादशी को उत्तराखंड के गढ़वाल अंचल में 'इगास' और कुमाऊं में 'बुढ़ दिवाई' (बूढ़ी दिवाली) कहा जाता  है. धार्मिक मान्यतानुसार  इस दिन चार माह के चार्तुमास में क्षीरसागर में योगनिद्रा में सोने के पश्चात भगवान श्रीबिष्णु जाग्रत अवस्था में आ जाते हैं. परम्परागत रूप से कुमाऊं अंचल में दीपावली का पर्व तीन स्तर पर मनाया जाता है.  सबसे पहले कोजागरी यानी शरद पूर्णिमा की छोटी दिवाली के रूप में बाल  लक्ष्मी की पूजा होती है, फिर मुख्य अमावस के दिन की दिवाली को युवा लक्ष्मी का पूजन होता है. चूंकि की इस अवधि में भगवान विष्णु निद्रा में रहते हैं सो अकेले  ही माता लक्ष्मी के पदचिन्ह  'पौ' की छाप  ऐपणों के साथ  दी जाती है. जबकि अंतिम तीसरी चरण की दिवाली बुढ़ दिवाई  (बूढ़ी दिवाली) के रुप में मनाई जाती...
वयस्कता की दहलीज पर आ पहुंचा दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र

वयस्कता की दहलीज पर आ पहुंचा दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र

देहरादून
चन्द्रशेखर तिवारी दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र (Doon Library And Research Centre) ने 17 वर्ष की उम्र पार कर आज वयस्कता की दहलीज पर पदार्पण किया है. यह हम सबके लिए वाकई गौरव का पल है. 8 दिसम्बर 2006 को देहरादून में एक स्वायत्तशासी संस्था के रुप में इस संस्था ने कार्य करना प्रारंभ किया था. माध्यमिक शिक्षा विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा परेड ग्राउंड स्थित परिसर में उपलब्ध कराये गये कुछ कक्षों से करीब 16 साल संचालित होने के बाद अब यह संस्थान अब लैंसडाउन चैक पर अपने नये भवन में स्थापित हो चुका है. इस बात पर कोई अतिशयोक्ति न होगी कि इस अवधि में ही दून पुस्तकालय एवम् शोध केन्द्र ने न केवल देहरादून अपितु देश-प्रदेश में भी अपनी एक विशेष कायम कर ली है. आम पाठकों,बुद्धिजावियों, लेखक,साहित्यकारों तथा सामाजिक विज्ञान के अध्येताओं के हित में स्थापित इस आदर्श ज्ञान संसाधन केन्द्र की परिकल्पना के मूल में मुख...