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राजनैतिक पाठ में काश और कसक के बीच

राजनैतिक पाठ में काश और कसक के बीच

पुस्तक-समीक्षा
प्रकाश उप्रेती बहुत दिनों से लंबित 'विजय त्रिवेदी' becauseकी किताब 'बीजेपी कल, आज और कल' को आखिर पढ़ लिया. इधर के दो दिन किताब को पचाने में लगे और अब उगल रहा हूँ. बीजेपी दस अध्यायों में विभाजित यह किताब ''1 मार्च 2019. रात के 9 बजकर 20 मिनट. अटारी-वाघा-बॉर्डर भारत-पाकिस्तान की सीमा पर बने इस बॉर्डर पर हजारों लोगों का जोश but और 'भारत माता की जय' के नारे गूँज रहे थे. शाम को हुई बारिश ने भले ही ठंडक बढ़ा दी थी, लेकिन माहौल में गजब की गर्माहट थी. 'विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान' की पाकिस्तान से वापसी की खबर का पूरा देश इंतजार कर रहा था." दृश्य से आरंभ होती है. इसके बाद किताब बीजेपी के भूत, वर्तमान और भविष्य का विश्लेषण करते हुए उसके इर्दगिर्द की राजनीति पर टीका करती हुई आगे बढ़ती है. इस दृश्य में वह सब कुछ जो राजनीति का वर्तमान है. विजय त्रिवेदी ने किताब में अपनी बातों को पुष्ट करने के...