Tag: गढ़वाल विश्वविद्यालय

अब पोर्टल के माध्यम से होंगे विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय में प्रवेश

अब पोर्टल के माध्यम से होंगे विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय में प्रवेश

देहरादून
उत्तराखण्ड के उच्च शिक्षा प्रवेश पोर्टल का हुआ शुभारंभ उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बुधवार को मीडिया सेंटर, सचिवालय देहरादून में उत्तराखंड राज्य के विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए एकीकृत समर्थ पोर्टल के अंतर्गत उत्तराखंड राज्य उच्च शिक्षा प्रवेश पोर्टल का शुभारंभ किया. उल्लेखनीय है कि नई शिक्षा नीति 2020 के तहत उत्तराखंड राज्य उच्च शिक्षा प्रवेश पोर्टल के शुभारंभ से एक प्रदेश- एक प्रवेश की संकल्पना के साथ संपूर्ण राज्य में उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश हेतु एक मंच प्रदान किया गया है. जिसके अंतर्गत विद्यार्थी उत्तराखंड राज्य के विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय में प्रवेश हेतु समर्थ पोर्टल में आवेदन कर सकते है. राज्य में अवस्थित उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश एवं अन्य व्यवस्थाओं में एकरूपता लाए जाने तथा राज्य विश्वविद्यालय एवं सम्बद्ध शासकीय अनुदानित एवं निजी ...
भारतीय हिमालय क्षेत्र से मानवीय पलायन के बहुआयामों पर सार्थक चर्चा करती पुस्तक

भारतीय हिमालय क्षेत्र से मानवीय पलायन के बहुआयामों पर सार्थक चर्चा करती पुस्तक

पुस्तक-समीक्षा
डॉ. अरुण कुकसाल अपने गांव चामी की धार चमधार में बैठकर मित्र प्रो. अतुल जोशी के संपादन में प्रकाशित पुस्तक ‘भारतीय हिमालय क्षेत्र से पलायन: चुनौतियां एवं समाधान- Migration from Indian Himalaya Region: Challenges and Strategies' का अध्ययन मेरे लिए आनंददायी रहा है. इस किताब के because बहाने कुछ बातें साझा करना उचित लगा इसलिए आपकी की ओर मुख़ातिब हूं. उत्तराखंड ‘मेरी उन्नति अपने ग्राम और इलाके की उन्नति के साथ नहीं हुई है, उससे कटकर हुई है. जो राष्ट्रीय उन्नति स्थानीय उन्नति को खोने की कीमत पर होती है, वह कभी स्थाई नहीं because हो सकती. उत्तराखंड के बुद्धिजीवियों का देश की उन्नति में कितना ही बड़ा योगदान हो, उत्तराखंड की समस्याओं से अलगाव और उन्नति में योगदान से उदासीनता उनके जीवन की बड़ी अपूर्णता है. यह राष्ट्र की भी बड़ी त्रासदी है.’ वरिष्ठ सामाजिक चिंतक और अर्थशास्त्री प्रो. पी. सी. जोशी...
कुछ अच्छी बातें सिर्फ गरीबी में ही विकसित होती हैं…

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पुस्तक-समीक्षा
डॉ. अरुण कुकसाल ‘बाबा जी (पिताजी) की आंखों में आंसू भर आये थे. मैंने नियुक्ति पत्र उनके हाथौं में दिया तो उन्होंने मुझे गले लगा लिया. वह बहुत कुछ कहना चाह रहे थे लेकिन कुछ भी बोल नहीं पा रहे थे. सिर्फ़ मेरे सिर पर हाथ फेरते रहे... मैं उसी विभाग में प्रवक्ता बन गया था जिसमें मेरे बाबा जी चपरासी थे.’ गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर परिसर से अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए परम आदरणीय प्रोफेसर राजा राम नौटियाल की आत्म संस्मराणत्मक पुस्तक 'चेतना के स्वर' का यह एक अंश है. प्रो. नौटियाल के पिता स्व. पंडित अमरदेव नौटियाल के जीवन संघर्षों पर यह पुस्तक केन्द्रित है. जीवन की विषम परिस्थितियों के चक्रव्यूह को तोड़ते हुए अपने सपनों के चरम को छूने की सशक्त कहानी है यह पुस्तक. किताब का हर वाक्य जीवन के कठोर धरातल से उपजा हुआ है. बेहतर जीवन के लिए अनवरत मेहनत और ईश्वर के प्रति अट...