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गंगा, नदी नहीं मां है और हमारी संस्कृति है : पद्मश्री उमाशंकर पांडेय

गंगा, नदी नहीं मां है और हमारी संस्कृति है : पद्मश्री उमाशंकर पांडेय

दिल्ली-एनसीआर
जलवायु परिवर्तन से बदल रहा मौसम का मिजाज. प्रेरणा विमर्श 2024 के पंच परिवर्तन के पांच सूत्रों पर हुआ मंथन हिमांतर ब्यूरो, नई दिल्ली नोएडा. प्रेरणा शोध संस्थान न्यास के तत्वावधान में नोएडा के सेक्टर 12 स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित 'प्रेरणा विमर्श 2024' के अंतर्गत पंच परिवर्तन के पांच सूत्रों पर तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन पर्यावरण, कुटुंब प्रबोधन और सामाजिक समरसता पर देश के मूर्धन्य लेखकों, विचारकों और विद्वानों ने चर्चा कर जलवायु परिवर्तन से प्रभावित वैश्विक पर्यावरण, संस्कारों की कमी से बिखरते कुटुंब और समाज में जाति धर्म के भेदभाव को दूर करने को समरसता के भाव को लेकर वक्ताओं ने विचार रख समस्याओं पर चिंतन और उनके समाधान रखे. कार्यक्रम के प्रथम सत्र में पर्यावरण विषय "माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्या" पर मंथन करते हुए मुख्य अतिथि पर्यावरणविद और जल योद्धा उमाशंकर पांडेय...
आस्था के पथ पर मेरी गोमुख यात्रा…

आस्था के पथ पर मेरी गोमुख यात्रा…

ट्रैवलॉग
यात्रावृत्तांत डॉ कपिल पंवार गंगा नदी, सांस्कृतिक वैभव, श्रद्धा एवं आस्था की प्रतीक मानी जाती हैं. सदियों से भारतीय समाज के हर वर्ग और समुदाय ने अपनी भावनात्मक ऊर्जा का प्रतीक मानकर गंगा की स्तुति की. पौराणिक काल से ही गंगा, ममतामयी माँ के रूप में पूजनीय है. गंगा, श्रद्धा और विश्वास के रूप में  पतित पावनी है तो जलापूर्ति के रूप में  जीवनदायनी भी. गंगा आदिकाल से ही भारत की आस्था, श्रद्धा का केंद्र होने के साथ ही दिव्य मंगलमयी कामना की पुण्यसलिला रही है. इसी आस्तिक अवधारणा का भाव लिए श्रद्धालु एक बार उस स्थान तक अवश्य पहुंचना चाहता है जहाँ से गंगा का उद्गम है. श्रद्धालु गंगोत्री धाम से 18 किमी की पैदल दूरी तय करके गोमुख तक पहुंचता है. गोमुख तक की यह यात्रा वही श्रद्धालु करता है, जो उच्च हिमालयी क्षेत्र के कारण आक्सीजन की कमी और पैदल यात्रा की चुनौती के लिए शारीरिक रूप से सक्षम हो ले...