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काला अक्षर भैंस बराबर था मेरे लिए…

काला अक्षर भैंस बराबर था मेरे लिए…

संस्मरण
जवाबदेही की अविस्मरणीय यात्रा भाग-3 सुनीता भट्ट पैन्यूली मेरी हथेली पर ऊंचाई से because टक से दस का सिक्का फेंकने के पीछे मकसद क्या था उस कंडक्टर का? क्या उसकी मनोवृत्ति थी आज तक नहीं समझ पायी मैं किंतु कॉलेज के सफ़र की अविस्मरणीय  स्मृतियों में कंटीली झाड़ में बिच्छु घास सी उग आयी घटना है यह मेरे जीवन में. हथेली कई हादसों की होने कीआवाज़ नहीं because होती है किंतु जिनसे होकर वह गुज़रते हैं यक़ीनन गोलियों के भेदने के उपरांत छिद्र से कर जाती हैं उनके जे़हन में जिन्होंने भोगा  है इस यथार्थ को. हथेली हादसा छोटा सा था या मैं ही because उसे विस्तार दे रही हूं इसका निर्णय आप पाठकों पर छोड़ती हूं. कॉलेज से शाम को घर पहुंच चुकी because थी मैं आज के अनुभव ने अनजाने ही सही पैठ बना ली थी मेरे मष्तिष्क में. कॉलेज में अपनी किताबों को गर्व से निहारा और पन्ने दर पन्ने पलटते ही न जा...