Tag: Yamuna Valley

समाज के सभी वर्गों के स्वीकार्य नेता थे सकल चंद रावत 

समाज के सभी वर्गों के स्वीकार्य नेता थे सकल चंद रावत 

स्मृति-शेष
चन्द्र भूषण बिजल्वाण,पुरोला उत्तरकाशी बसंत के आगमन के साथ ही उत्तरकाशी जनपद के रवांई में एक प्रखर विचारक, चिंतक, कानूनवेता, साहित्यकार, रंगकर्मी और राजनीतिक मामलों की जानकार सकलचंद रावत का जन्म नौगांव विकासखंड की सुनारा गांव में श्री नौनिहाल सिंह रावत के घर पर 2 फरवरी 1942 को हुआ. इनकी प्रारंभिक शिक्षा नौगांव के एक प्राइवेट स्कूल में हुई. कक्षा 8 की परीक्षा पुरोला से उत्तीर्ण की . इसके पश्चात हाई स्कूल एवं इंटर की पढ़ाई राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज उत्तरकाशी की. जब रावत उत्तरकाशी पढ़ते थे तो एक बार छात्रों में शर्त लगी कि गंगा नदी को जो पार करेगा उसे विद्यालय का मॉनिटर बनाया जाएगा. रावत ने यह शर्त जीत ली और उन्हें मॉनिटर बना दिया गया. छात्र जीवन से खेलकूद में रुचि होने के कारण गोला फेंक, चक्का फेंक, कबड्डी एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अग्रणी पंक्ति में रहे. इंटरमीडिएट उत्तरकाशी से करने के...
अनोज सिंह ‘बनाली’ की रवांल्टी कविता संग्रह ‘दुई आखर’ का लोकार्पण

अनोज सिंह ‘बनाली’ की रवांल्टी कविता संग्रह ‘दुई आखर’ का लोकार्पण

उत्तरकाशी
हिमांतर ब्यूरो, बड़कोट, उत्तरकाशी रवांल्टी भाषा में कविता लेखन का सिलसिला निरंतर जारी है. इसी कढ़ी में अनोज सिंह 'बनाली' का हालिया प्रकाशित रवांल्टी कविता संग्रह 'दुई आखर' का लोकार्पण लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं उत्तराखण्ड भाषा संस्थान के सदस्य महावीर रवांल्टा के मुख्य आतिथ्य तथा सेवानिवृत्त अध्यापक एवं गहन अध्येता रूकम सिंह रावत व जिला सहकारी बैंक के पूर्व चेयरमैन जयेन्द्र सिंह रावत के विशिष्ट आतिथ्य में नगर पालिका परिषद् बड़कोट की अध्यक्ष अनुपमा रावत की अध्यक्षता में हिमांतर प्रकाशन के मुखिया शशिमोहन रावत 'रवांल्टा', शैलेश मटियानी पुस्कार से सम्मानित शिक्षक व 'पछ्याण' और  'रवांल्टी अखाण कोश' के लेखक ध्यान सिंह रावत 'ध्यानी', सामाजिक सक्रियता के लिए चर्चित असिता डोभाल व नरेश नौटियाल सहित सामाजिक एवं सा​हित्यिक—सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रियता निभाने वाले बलवंत सिंह पंवार (पूर्व प्र...
लोक कलाकार सीना दा अनंत यात्रा पर…

लोक कलाकार सीना दा अनंत यात्रा पर…

स्मृति-शेष
इन्द्र सिंह नेगी देश के विभिन्न भागों में अपने ढोल वादन की विशेष छाप छोड़ने वाले कालसी विकासखंड के गास्की गांव निवासी सत्तर वर्षीय सीना दा आज अनंत यात्रा पर चल लिए ......वो पिछले छ: because माह से टीबी व पेट के इन्फेक्शन से जूझ रहे थे तथा उनका इलाज एम्स ऋषिकेश से चल रहा था. विगत में हरिद्वार में हुए नमो नाद कार्यक्रम में उन्हे "गुरू" की उपाधि से विभूषित किया गया था. अंक शास्त्र सीना दा राज्य के उन गिने-चुने ढोल because वादन के विशेषज्ञों में सम्मिलित थे जिन्हे इस विधा की बारीक समझ थी, वो अपनी कला से लोगों का मन मोह लेते थे. नौबत, बधाई, धार्मिक अनुष्ठान, पंडवाणी, झैन्ता, रासो वादन आदि से लेकर लोक गायन तक में उन्हे महारत हासिल थी. अंक शास्त्र हमारी लोक विरासत के ये जानकर धीरे-धीरे अनंत यात्रा पर निकलते जा रहे और उनके साथ उनकी लोक कलायें भी समाप्त होती जा रही है, हमारी सरकारों के एजें...
प्रकृति से सहभाहिगता के पक्षधर मनीषी

प्रकृति से सहभाहिगता के पक्षधर मनीषी

स्मृति-शेष
चारु तिवारी ‘क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार. मिट्टी, पानी और बयार,  जिन्दा रहने के आधार.’  पर्यावरण और हिमालय की हिफाजत की समझ को विकसित करने वाले इस नारे के साथ एक पीढ़ी बड़ी हुई. इस नारे को जन-जन तक पहुंचाने वाले हिमालय प्रहरी सुन्दरलाल बहुगुणा के साथ. साठ-सत्तर के दशक में हिमालय और पर्यावरण को जानने-समझने की जो चेतना विकसित हुई उसमें सुन्दरलाल बहुगुणा के योगदान को हमेशा याद because किया जायेगा. पर्यावरण और हिमालय को जानने-समझने वालों के अलावा एक बड़ी जमात है जो उन्हें एक आइकॉन की तरह देखती रही है. कई संदर्भों में, कई पड़ावों में. उन्हें पहचान भले ही एक पर्यावरणविद के रूप में मिली, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता, सामाजिक समरसता के लिये काम करने वाले कार्यकर्ता, महिलाओं और दलित समाज में गैरबराबरी लिये उन्होंने बड़ा काम किया. एक सजग पत्रकार के रू...
उत्तराखंड के लोक और देव परंपरा को समझने के लिए एक ज़रूरी क़िताब

उत्तराखंड के लोक और देव परंपरा को समझने के लिए एक ज़रूरी क़िताब

पुस्तक-समीक्षा
पुस्तक समीक्षा चरण सिंह केदारखंडी कोटी बनाल (बड़कोट उत्तरकाशी) में 7 जून 1981 को जन्मे दिनेश रावत पेशे से शिक्षक और प्रवृति से यायावर और प्रकृति की पाठशाला के अध्येता हैं जिन्हें because अपनी सांस्कृतिक विरासत से बेहद लगाव है. अंक शास्त्र “रवांई के देवालय एवं देवगाथाएं” नवम्बर 2020 में प्रकाशित लोक संस्कृति पर उनकी दूसरी किताब है इससे पहले रावत जी “रवांई क्षेत्र के लोकदेवता और लोकोत्सव” पुस्तक लिख चुके हैं जो because उनकी दूसरी किताब की प्रेरणा बनी है. समय साक्ष्य प्रकाशन देहरादून और संस्कृति विभाग उत्तराखंड के आर्थिक अनुदान से प्रकाशित 294 पृष्ठ की इस किताब में 5 अध्याय हैं और कवर पेज (महासू देवता) सोबन दास जी का बनाया हुआ है... अंक शास्त्र उत्तराखंड समूचे भारत के साथ साथ हिमालयी राज्यों में भी अपनी एक विशिष्ट सांस्कृतिक अस्मिता के लिए जाना जाता है. भावना के उदात्त स्फुरणों में...
जिलाधिकारी ने दिए घर-घर जाकर सघन चेकिंग अभियान के निर्देश

जिलाधिकारी ने दिए घर-घर जाकर सघन चेकिंग अभियान के निर्देश

उत्तरकाशी
नीरज उत्तराखंडी, उत्तरकाशी कोरोना संक्रमण में निरन्तर हो रही वृद्धि को लेकर जनपद में कोविड -19 नियमों में सख्ती की गई है. मास्क  नहीं पहनने व होम आइसोलेशन नियमों का अनुपालन नहीं करने पर कल से उत्तरकाशी व बड़कोट में सघन चेकिंग अभियान चलाने के निर्देश उप जिलाधिकारी को दिए गए. बाजार में बिना मास्क के because लोगों का आवगमन कतई न हो तथा होम आइसोलेशन नियमों का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित कराने हेतु सर्विलांस टीम को घर-घर जाकर सघन चेकिंग अभियान के निर्देश दिए गए है. उत्तरकाशी आगामी 1 मई से 18 वर्ष के ऊपर सभी का कोविड वैक्सिननेशन होगा इसके लिए अभी से पुख्ता तैयारी कर ली जाय. शुरुआत में 50 सेशन साइट का चयन करने because के साथ ही प्रत्येक सेशन साइट पर कोविड वैक्सीन टीम बनाने को कहा, ताकि 1 मई से त्वरित गति से वेक्सीन लगाने का कार्य प्रारम्भ किया जा सकें. जिलाधिकारी रविवार को जिलाधिकारी म...
उत्तराखंड के इतिहास में बड़ी खोज, 1000 साल पुरानी मूर्ति, भगवान शिव के अवतार लकुलीश और पाशुपत धर्म    

उत्तराखंड के इतिहास में बड़ी खोज, 1000 साल पुरानी मूर्ति, भगवान शिव के अवतार लकुलीश और पाशुपत धर्म    

इतिहास, उत्तरकाशी
प्रदीप रावत (रवांल्टा)  इतिहास को समझना और जानना बहुत कठिन है. परत दर परत, जितनी भी नई परतों को कुरेदते जाएंगे, हर परत के पीछे एक नई परत निकल आती है. इतिहास का प्रयोग विशेष रूप से दो अर्थों में किया जाता है. एक है प्राचीन या विगत काल की घटनाएं और दूसरा उन घटनाओं के विषय में धारणा. इतिहास शब्द का because तात्पर्य है कि "यह निश्चय था". ग्रीस के लोग इतिहास के लिए हिस्तरी शब्द का प्रयोग करते थे. हिस्तरी का शाब्दिक अर्थ बुनना होता है. ऐतिहासिक धरोहर इतिहास की कुछ ऐसी ही बुनावट उत्तराखंड के उत्तरकाशी (Uttarkashi) जिले की यमुना घाटी (Yamuna Valley) में बिखरी पड़ी है. इस बनुवाट के बिखराव पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया. पुरातात्विक महत्व की इस ऐतिहासिक धरोहर को आज तक संजोन का प्रयास भी नहीं किया गया. पहली बार इतिहासकार डॉ. विजय बहुगुणा because ने यमुना घाटी के देवल गांव में बिखरी इतिहास की कुछ ऐ...
‘फूल संगराँद’ से शुरु होकर ‘अर्द्ध’ से होते हुए ‘साकुल्या संगराँद’ तक चलता रहता है उत्सव

‘फूल संगराँद’ से शुरु होकर ‘अर्द्ध’ से होते हुए ‘साकुल्या संगराँद’ तक चलता रहता है उत्सव

लोक पर्व-त्योहार
सदंर्भ : फूलदेई दिनेश रावत वसुंधरा के गर्भ से प्रस्फुटित एक—एक नवांकुर चैत मास आते—आते पुष्प—कली बन प्रकृति के श्रृंगार को मानो आतुर हो उठते हैं. खेतों में लहलहाती गेहूँ—सरसों की because फसलों के साथ ही गाँव—घरों के आस—पास पयां, आड़ू, चूल्लू, सिरौल, पुलम, खुमानी के श्वेत—नीले—बैंगनी, खेत—खलिहानों के मुंडैरों से मुस्कान बिखेरती प्यारी—सी फ्योंली के पीले फूल और बांज, बुराँश, खर्सू, मोरू, अंयार की हरियाली के बीच से अद्वितीय लालिमा का संचार करते बुराँश के सुर्ख लाल फूलों की उन्मुक्त मुस्कान और अनुपम सौंदर्य देखते ही बनती है. उत्तराखंड प्रकृति के इसी मनोरम दृश्य को देखकर उसी के निकटव नैकट्य में जीवन यापन करने वाला सीधा—सच्चा—सरल because लोक मानस इस प्रकार आनंदित—उत्साहित—उल्लासित हो उठता है कि उसके मन में भी जीवन को ऐसे ही अद्भुत व अनुपम बनाने की उत्कंठा जाग उठती है. फलतः प्रकृति प्...
हाँ! सच है कि रवाँई में जादू है

हाँ! सच है कि रवाँई में जादू है

साहित्‍य-संस्कृति
दिनेश रावत कभी दबे स्वर तो कभी खुलम-खुला अकसर चर्चा होती ही रहती है कि रवाँई में जादू है. बहुत से दिलेरे या रवाँईवासियों की अजीज मित्र मण्डली में शामिल साथी सम्बंधों का because लाभ उठाते हुए चार्तुयपूर्ण अंदाज में कुशल वाक्पटुता के साथ किन्तु-परन्तु का यथेष्ट प्रयोग करते हुए उन्हीं से ही पूछ लेते हैं कि ‘हमने सुना है कि रवाँई में जादू है...!’ यद्यपि इस दौरान ‘हमने सुना है’ पर विशेष बलाघात रहता है. मत के अनु समर्थन या पुष्टि के लिए वे तकिया कलाम बन चुके- ‘जो गया रवाँई वो बैठा घर ज्वाई’ का भी सहज सहारा ले लेते हैं. ऐसे ही प्रश्नों से जब भी because मेरा सामना हुआ है मैंने सहज स्वीकारा है कि— हाँ! सच है कि रवाँई में जादू है, मगर वह बंगाल के काले जादू जैसा नहीं बल्कि उससे बहुत भिन्न मान-सम्मान, स्वागत-सत्कार, अनूठे अपनेपन-आत्मीयता व विश्वास का जादू है जो जाने-अनजाने, चाहते-न-चाहते हुए भी कई ...
पुस्तक ‘रवाँई क्षेत्र के देवालय एवं देवगाथाएं’ लोकार्पित

पुस्तक ‘रवाँई क्षेत्र के देवालय एवं देवगाथाएं’ लोकार्पित

साहित्यिक-हलचल
पुस्तक लोकार्पण हिमांतर ब्‍यूरो, उत्तरकाशी सामाजिक एवं पर्यावरणीय कल्याण समिति (सेवा) के तत्वाधान में देवभूमि उत्तराखण्ड के पश्चिमोत्तर रवाँई क्षेत्र में होने वाले प्रमुख लोकोत्सव देवलांग because के अवसर पर ‘देवडोखरी’ (बनाल) में because अवस्थित रा.उ.मा.विद्यालय के सभागार में दिनेश रावत की पुस्तक ‘रवाँई के देवालय एवं देवगाथाएँ’ का  लोकार्पण उत्‍तरकाशी जनपद के मुख्य शिक्षा अधिकारी विनोद प्रसाद सिमल्टी, साहित्यकार महाबीर रवांल्टा, पं. महीशरण सेमवाल, सुखदेव रावत, पं. शांति प्रसाद सेमवाल, पूर्व ब्लाक प्रमुख रचना बहुगुणा, पूर्व जिला पंचायत because सदस्य नानई चंदी पोखरियाल, इ. चन्द्र लाल भारती एवं समिति के शशि मोहन रावत की उपस्थिति में किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया. सामाजिक कार्यक्रम के दौरान सुखदेव रावत ने because उपस्थितजनों का स्वागत संबोधन किया तो b...