Tag: Sunita Bhatt Painuly

चोखी ढाणी : राजस्थान की समृद्ध विरासत और रंगीली संस्कृति की झलक

चोखी ढाणी : राजस्थान की समृद्ध विरासत और रंगीली संस्कृति की झलक

ट्रैवलॉग
सुनीता भट्ट पैन्यूली कुछ यात्रायें किसी मनोरंजन व मन के परिवर्तन के लिए नहीं वरन अपनी  संतति के प्रति ज़िम्मेदारियों के वहन हेतु भी होती हैं.इस प्रकार की परिसीमित, निर्धारित व व्यवस्थित  यात्राओं में घुमक्कड़ी की कोई रूपरेखा या because बुनावट नहीं होती है किंतु फिर भी आनन-फानन में समय की तंगी और बोझिलता के बीच भी यदि समय हम पर कृपालु होकर स्वयं हमें सुखद क्षण दे देता है कुछ मनोरंजन के लिए तो और भी सोने पर सुहागा. ज्योतिष यदि समय का अभाव है और किसी एक राज्य से because दूसरे राज्य में विशेष काम से गये हैं तिस पर  वहां की संस्कृति को एक ही दिन में जानने की जिज्ञासा हो तो कतई संभव नहीं है उसका पूर्ण होना. ज्योतिष ख़ैर हमने ऐसी कोई परिकल्पना भी नहीं की थी because क्योंकि हमारी यात्रा औचक थी.क्या किया जाये?अनायास ही उठे हुए कदमों को जाना तो होता है मंज़िल की ओर किंतु कभी-कभी वे ठिठक भी जाते...
गिरगिट की तरह रंग बदलने पर मज़बूर हो रही थी मैं!

गिरगिट की तरह रंग बदलने पर मज़बूर हो रही थी मैं!

संस्मरण
जवाबदेही की अविस्मरणीय यात्रा – अंतिम किस्‍त सुनीता भट्ट पैन्यूली वक़्त की हवा ही कुछ इस तरह से बह रही है because कि किसी अपरिचित पर हम तब तक विश्वास नहीं करते जब तक कि हम आश्वस्त नहीं हो जायें कि फलां व्यक्ति को हमसे बदले में कुछ नहीं चाहिए वह नि:स्वार्थ हमारी मदद कर रहा है. सत्य अमूमन ऐसा होता नहीं है कि किसी प्रोफेसर because के घर जाने की नौबत आये, कालेज के सभी कार्य और प्रयोजन कालेज में ही संपन्न कराये जाते हैं. छात्र और छात्राओं को प्रोफेसर के घर से क्या लेना-देना? ख़ैर अत्यंत असमंजस में थी मैं असाइनमेंट जमा करवाने को लेकर. यदि दीदी साथ न होती तो मेरी इतनी हिम्मत because नहीं थी कि सब कुछ ताक पर रखकर अकेले ही चली जाती प्रोफेसर के पास असाइनमेंट जमा करवाने. सत्य किंतु यहां पर इस परिदृश्य में मेरी because स्थिती अलहदा है स्वयं को मैंने जज़्ब किया है कि मुझे फाईनल परीक्षा ...