स्मृतियों के उस पार…
सुनीता भट्ट पैन्यूली
कोई अदृश्य शक्ति किसी because हादसे के उपरांत स्वयं को संबल देने या मज़बूत बनाने की प्रक्रिया के अंतर्गत भावनाओं का उत्स है, यह किसी अदृश्य, दैवीय शक्ति को नकारने वालों का मत हो सकता है किंतु अपने संदर्भ में कहूं तो मेरा हृदय सहर्ष स्वीकार करता है कि मैंने जिंदगी में किसी अदृश्य शक्ति को अपने जीवन में बार-बार महसूस किया है.
ब्रह्मांड
ईश्वर और अदृश्य शक्ति एक हैं नहीं जानती ह़ूं but किंतु ब्रह्मांड तक किसी दुखी दिल की आवाज़ पहुंचती है यह बहुत अच्छे से जानती हूं मैं बशर्ते आवाज़ किसी दूसरे दिल की अतल से नि:स्वार्थ निकल रही हो.
बात उन दिनों की है जब पिता को गये साल भर हो चला था वक़्त अपनी रफ़्तार से बढ़ रहा था,मेरी ज़िन्दगी की गाड़ी भी कभी पीछे मुड़ती कभी आगे देखती अपनी दिशा में गतिमान हो रही थी.so हुआ यूं कि पहले वायरल और फिर डेंगू के चपेट में आ जाने से घर ही घ...