नै लिख्वार, नै पौध
कुछ गढवाली रचना
दिशा धियाण
नवरात्रों बेटी पूजदा ना जाणि कै दौ बलात्कार ह्वोणू
जे समाज देश मा बेट्यूं इज्जत तार तार ह्वोणू
रावण अथा घूमण लग्या हर बेटी जांगणी न्यो निसाफ
तख राम जी का भेस मा. बेटी जन्म ह्वोण किले च पाप.
गर्भ बटिन भला बीज डाळा
बलात्कारी नीच सोच ना पाळा
जन नौनी अपडि होंदि
हक्कै भी तनी मांणा दूं
बिरांणा नौन्यूं सम्मान कन
नौन्याळू घौरै बटि समझा दूं.
अश्विनी गौड़, राउमावि पालाकुराली, रूद्रप्रयाग
अबकि बार
मैनत से बणाई सजांई
कूडी बांजा पडिगिन
चौक तिबार यखुलि
छूटी गैन.
तुमारी सैती बांज बुराश
पैंया
मोळिगिन
झपझपी घास
काटणो हवेगिन.
यि बण डाळा पुंगणा
देखी देखी
थकी गैन
तुमारि जग्वाळ
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