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उत्तरकाशी : 20 सालों से लकड़ी की पुलिया का सहारा, हर दिन हथेली पर जान, अब करेंगे भूख हड़ताल!

उत्तरकाशी : 20 सालों से लकड़ी की पुलिया का सहारा, हर दिन हथेली पर जान, अब करेंगे भूख हड़ताल!

उत्तरकाशी
मोरी: पांच गांवों को जोड़ने के लिए एक पुलिया 20 साल पहले बनी थी, जिसकी हालत बदहाल हो चुकी है। आपको जानकार हैरानी होगी कि यह पुलिया लोहे या सीमेंट से नहीं बनी है, बल्कि लकड़ी से बनी हुई है। इसी पुलिया से हर दिन पांच गावों के लोग सफर करते हैं। खतरा इतना कि इस पर एक बार में दो-तीन लोगों का जाना भी खतरे से खाली है। पुलिया इतनी जर्जर हो चुकी है कि लोग रोजाना जान हथेली पर रखकर इसी पुलिया से आते-जाते हैं। यह पुलिस विधायक दुर्गेश्वर लाल की विधानसभा क्षेत्र ही नहीं, बल्कि उनके अपने गृह क्षेत्र में ही है। यहां लोग सालों से परेशानियों से जूझ रहे हैं। लेकिन, कोई उनकी सुध लेने वाला नहीं है। मोरी ब्लॉक के राला से कासला को जोड़ने वाली पैदल पुलिया लंबे समय से क्षतिग्रस्त है। कई बार ग्रामीण पुलिया की जगह पर पक्के पुल की मांग कर चुके हैं, लेकिन आज तक उनकी किसी ने नहीं सुनह। ग्रामीणों के संपर्क का पैदल सम्पर्...
पुरोला—मोरी: भेड़ पालकों का जीवन बीमा करने की मांग!

पुरोला—मोरी: भेड़ पालकों का जीवन बीमा करने की मांग!

उत्तरकाशी
नीरज  उत्तराखंडी भेड़ पहाड़ की  आर्थिकी की रीढ़ है लेकिन उचित  प्रोत्साहन न मिलने से भेड़ -बकरी पालन व्यवसाय  दम तोड़ता  नजर आ रहा है. आधुनिक सुख सविधाओं की ओर दौड़ती युवा पीढ़ी पारम्परिक व्यवसाय भेड़ बकरी पालन से विमुख होती जा रही है. जिसकी एक बडी वजह भेड़ पालकों की सरकारी अनदेखी भी शामिल है. उचित सहयोग प्रोत्साहन न मिले से युवा पीढ़ी इस पुश्तैनी  व्यवसाय  से  मुख मोड़ने लगी है. पहाड़ की जवानी रोटी रोजगार की तलाश  में  मैदान  की खाक छान रही है.आज के युवक भेड़ पालन व्यवसाय पर रुचि नहीं ले रहे हैं. जिससे लगातार भेड़-बकरी व्यवसायियों की संख्या में भारी गिरावट आ रही है. उच्च हिमालय की  सुन्दर घाटियों में समुद्रतल से  3566 मीटर (11700 फीट) की ऊंचाई पर भेड़ पालक बेखौफ मौसम की मार झेल कर  भेड़ बकरी व्यवसाय पालन करते है. प्रतिकूल परिस्थितियों में धूप, बारिश, सर्दी  आसमानी  बिजली  के संकट से जूझ...
पुरोला-मोरी: आषाढ़ी सांस्कृतिक  मेलों का आगाज 

पुरोला-मोरी: आषाढ़ी सांस्कृतिक  मेलों का आगाज 

उत्तरकाशी
नीरज उत्तराखंडी, पुरोला मोरी विकास खंड के गोविंद वन्य जीव विहार क्षेत्र में स्थित गांवों में आषाढ़ माह में  आयोजित होने वाले सांस्कृतिक  मेलों का आगाज  हो गया  है.  आषाढ़ माह के मेलों में क्षेत्र के ईष्टदेव सोमेश्वर महादेव प्रत्येक गांव में पहुंचकर रात्रि विश्राम कर रात्रि जागरण करते हैं. ग्रामीण  तांदी,रासौं आदि नृत्य  कर अपनी पौराणिक संस्कृति की छटा बिखेरते  हैं. तथा क्षेत्र की खुशहाली की कामना करते है.  गोविंद वन्य जीव विहार  क्षेत्र के बड़ासू,अडोर,पंचगाई पट्टी में आषाढ़ माह में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक  मेलोंका आगाज हो गया  है. क्षेत्र के इष्टदेव सोमेश्वर महाराज इस अवसर पर अपने पुजारी,माली,बजीर,स्याणे, क्षेत्र के युवा,युवती, बुजुर्गो के साथ पद यात्रा कर प्रत्येक गांव में रात्रि विश्राम कर ग्रमीणों को क्षेत्र की समृद्धि एव॔ खुशहाली का शुभाशीष देते है. बुधवार को मेले का आगाज सोमे...
पर्वतारोहण और ट्रैकिंग से स्वरोजगार की पहल…

पर्वतारोहण और ट्रैकिंग से स्वरोजगार की पहल…

चमोली, पर्यटन
शशि मोहन रवांल्टा स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी श्रीराम शर्मा के गीत ‘करो राष्ट्र निर्माण बनाओ मिट्टी से सोना’ जी हां! इस गीत की पंक्तियों को चरितार्थ कर दिखाया है उत्तरकाशी जिले because के दूरस्थ गांव सौड़-सांकरी के चैन सिंह रावत ने. उन्होंने पर्वतारोहण और ट्रैकिंग के काम को पर्यटन व्यवसाय से जोड़ा है. अब उनके गांव के हर नौजवान के पास ‘होम स्टे’ के रूप में स्वरोजगार है. बसंत ऋतु उत्तरकाशी जिले के so सीमान्त विकासखण्ड मोरी के दूरस्थ गांव सांकरी में वर्ष के 10 माह तक पर्यटकों की आमद देखने को मिलती है. जनवरी और फरवरी माह में यह सम्पूर्ण घाटी बर्फ से ढक जाती है. यहां पर हरे-भरे जंगल, गोविंद पशु विहार नेशनल पार्क और सैंचुरी (Govind Pashu Vihar National Park & Sanctuary), सेब के बागान, पास में बह रही सुपीन नदी, हरकीदून बुग्याल, केदारकांठा ट्रैक, जुड़ी ताल की सैर, इसके अलावा इस घाटी में स...
सतत पर्यटन विकास के लिए जुटे लोग  

सतत पर्यटन विकास के लिए जुटे लोग  

पर्यटन
हिमांतर ब्‍यूरो, उत्तरकाशी सतत पर्यटन विकास (Sustainable Tourism Development), साहसिक और सुरक्षित पर्यटन स्थल कैसा हो,  इसको लेकर मोरी में स्थानीय लोगों के द्वारा एक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें क्षेत्र के स्थायी पर्यटन विकास को लेकर चर्चा की गई. पर्यटन को सुगम because और सरल बनाने के लिए निरंतर प्रयास जारी हैं. बैठक में क्षेत्र के सभी जनप्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया. इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि क्षेत्र में पर्यटन के so लिए प्राथमिक परिवहन, स्थानीय परिवहन, आवास, मनोरंजन, खान—पान का विशेष ध्यान रखा जाएगा, साथ ही कूड़ा निस्तारण के समुचित प्रबंधन को लेकर भी विचार—विमर्श किया गया. इसके लिए सभी ने एक स्वर में यमुना घाटी में रिसाइक्लिंग प्लांट लगाने की आवश्यकता पर जोर दिया. पर्यटन क्षेत्र के सभी टूर ऑपरेटर, ट्रैकिंग but एजेंसियों के द्वारा सुव्यवस्थित पर्यटन की कल्पना की गई, जिसमें फ...