Tag: Kumaon Regiment

पिथौरागढ़ : चार युद्ध लड़ने वाले 82 वर्षीय मेजर त्रिलोक सिंह सौन

पिथौरागढ़ : चार युद्ध लड़ने वाले 82 वर्षीय मेजर त्रिलोक सिंह सौन

पिथौरागढ़
प्रकाश चन्द्र पुनेठा, सिलपाटा, पिथौरागढ़ पिथौरागढ़ से पूर्व में लगभग 35 किलोमीटर दूर नेपाल सीमा व काली नदी के निकट क्वीतड़ गाँव के तोक चैड़ा में 1 जनवरी, 1944 के दिन एक किसान करम सिंह सौन व उनकी पत्नी ग्वाली देवी के परिवार में एक शिशु का जन्म हुआ। उसका नामकरण बड़ी धूमधाम से मनाया गया और नाम रखा गया त्रिलोक सिंह सौन। करम सिंह 120 नाली  भूमी के स्वामी होने के साथ एक संपन्न तथा समृद्ध किसान थे। करम सिंह अपने परिश्रम के बलबूते, अपने खेतों में पसीना बहाकर, खेतों में अनाज उगाकर तथा गाय-भैंस पालकर अपने परिवार का भरण-पोषण बहुत अच्छी तरह करते थे। उनके घर में अनाज व दूध-दही-घी की कमी नहीं थी। अगर कमी थी तो आधुनिक सुख-सुविधाओं की। उस समय हमारा देश ब्रिटिश शासन के पराधीन था। हमारे पर्वतीय क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ तथा आवागमन की सुविधाओं का बहुत अधिक अभाव था। पिथौरागढ़ जिला अल्मोड़ा का एक परगना था, पिथौरा...
हैदराबाद निजाम की सेना से कुमाऊँ रेजिमेंट तक, कुमाउँनियों की सैनिक जीवन यात्रा

हैदराबाद निजाम की सेना से कुमाऊँ रेजिमेंट तक, कुमाउँनियों की सैनिक जीवन यात्रा

साहित्‍य-संस्कृति
प्रकाश चन्द्र पुनेठा, सिलपाटा, पिथौरागढ़ विश्व के इतिहास का अध्यन करने से ज्ञात होता है कि इतिहास में उस जाति का नाम विशेषतया स्वर्ण अक्षरों से उल्लेखित किया गया है, जिस जाति ने वीरता पूर्ण कार्य किए हैं. विश्व के इतिहास में अनेक प्रकार की युद्ध की घटनाओं का विस्तृत वर्णन मिलता हैं. इन युद्ध की घटनाओं में वीरतापूर्ण संधर्ष करने वाले वीर व्यक्तियों की गाथा का वर्णन अधिक किया गया है. शक्तिशाली, साहसी तथा वीर व्यक्तियों ने अपने स्वयं के जीवन का बलिदान देकर अपने कुल, परिवार व जाति का नाम वीर जाति में सम्मिलित किया गया हैं. हमारे देश में भी अनेक वीर जातियों का नाम उनके वीरतापूर्ण कार्यो से, व आत्मबलिदान से, हमारे देश के इतिहास में दर्ज हैं. इन बहादुर जातियों ने रणक्षेत्र हो या खेल का क्षेत्र दोनो जगह अपनी श्रेष्ठता का झंडा बुलंद किया हैं. किसी शक्तिशाली राष्ट्र की शक्ति का आभास उस राष्ट्र की...