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आस्था का सैलाब: चालदा महासू महाराज की प्रवास यात्रा का क्रम

आस्था का सैलाब: चालदा महासू महाराज की प्रवास यात्रा का क्रम

देहरादून
भारत चौहान कश्मीर से हनोल की महासू महाराज की प्रवास यात्रा का एक लंबा क्रम है, हनोल (Hanol) में प्रकटीकरण के पश्चात बोटा महाराज हनोल में ही विराजित रहते हैं. जबकि चालदा महाराज जौनसार-बावर, उत्तरकाशी (Uttarkashi) एवं हिमाचल (Himachal) प्रदेश में प्रवास करते हैं. चालदा महाराज की प्रवास यात्रा के इतिहास की लंबी कढ़ी है परंतु ब्रिटिश सरकार ने चालदा महाराज के प्रवास को दो भागों में विभक्त किया एक भाग साटी बिल (तरफ) मतलब जौनसार बावर एवं आंशिक हिमाचल का क्षेत्र जिसके वजीर दीवान सिंह जी है जो बावर क्षेत्र के बास्तील गांव के निवासी है और दूसरा भाग पासी बिल मतलब उत्तरकाशी जनपद व हिमाचल प्रदेश का क्षेत्र. जिसके वजीर जयपाल सिंह जी है जो ठडीयार गांव के निवासी है. (यहां यह बात ध्यान रखने योग्य है कि चालदा महाराज के वजीर महाराज के प्रवास यात्रा की संपूर्ण व्यवस्था करते हैं. कहां पर कब प्रवास होना है ...
गणतंत्र दिवस परेड: उत्तराखंड की झांकी ‘मानसखंड’ को मिला पहला पुरस्कार

गणतंत्र दिवस परेड: उत्तराखंड की झांकी ‘मानसखंड’ को मिला पहला पुरस्कार

देहरादून
टीम लीडर केएस चौहान की मेहनत रंग लाई, अब कर चुके हैं 13 झांकियों का नेतृत्व  देहरादून. गणतंत्र दिवस की परेड में कर्तव्य पथ पर शामिल उत्तराखंड की मानसखंड झांकी को पहला पुरस्कार मिला है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस उपलब्धि के लिए प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि हम सबके लिए गौरवशाली पल है. मुख्यमंत्री ने कहा कि पुराणों में गढ़वाल का केदारखंड और कुमाऊं का मानसखंड के रूप में वर्णन किया गया है. स्कंदपुराण में मानसखंड के बारे में बताया गया है. जागेश्वर मंदिर की बहुत धार्मिक मान्यता है. गणतंत्र दिवस परेड को अभी तक राजपथ के नाम से जाना जाता था, किंतु इस वर्ष उसका नाम बदलकर कर्तव्य पथ रखा गया है. नाम बदलने के बाद कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की यह. पहली परेड थी, जिसमे उत्तराखंड की झांकी मानसखंड को देश मे प्रथम स्थान मिलने से इतिहास में उत्तराखंड राज्य का नाम दर्ज हो गया है. ...