Tag: Hanuman Chalisa

घने अंधेरे में जब गधेरे से बच्चे के रोने की आवाज़ आने लगी

घने अंधेरे में जब गधेरे से बच्चे के रोने की आवाज़ आने लगी

संस्मरण
ललित फुलारा मैं कुंवर चंद जी के साथ रात के because तीसरे पहर में सुनसान घाटी से आ रहा था. यह पहर पूरी तरह से तामसिक होता है. कभी भूत लगा हो, तो याद कर लें रात्रि 12 से 3 बजे का वक्त तो नहीं! अचानक कुंवर चंद जी मुझसे बोले 'अगर ऐसा लगे कि पीछे से को¬ई आवाज दे रहा है, तो मुड़ना नहीं. रोए, तो देखना नहीं. छल पर भरोसा मत करना, सीधे बढ़ना.. मन डरे, कुछ अहसास हो, तो हनुमान चालिसा स्मरण करो. मैं साथ हूं. कुंवर अचानक बच्चा रोया because और छण-छण शुरू हो गई. मैंने पीछे देखना चाहा, तो उन्होंने गर्दन आगे करते हुए 'बस आगे देखो. चलते रहो. छल रहा है. भ्रमित मत होना. कुछ भी दिखे यकीन मत करना. जो दिख रहा है, वो है नहीं और जो है, वह अपनी माया रच रहा है.' भ्रमित आसपास बस घाटियां थीं. झाड़ झंखाड़. because गधेरे. ऊपर जंगल और नीचे नदी जिसकी आवाज भी थम चुकी थी. अंधेरा घना. मैं आगे था और कुंवर चंद जी ...