Tag: Farmers Protest 2020

भारतीय किसान की चुनौतियां सुलझाना जरूरी…

भारतीय किसान की चुनौतियां सुलझाना जरूरी…

समसामयिक
गाँव और शहर के बीच की बढ़ती खाई ने शहर को ही विकास की नीति का केंद्र बना दिया प्रो. गिरीश्वर मिश्र भारत बहुत दिनों से गाँवों की धरती के रूप में पहचाना जाता रहा है. भारत के परम्परागत सामाज के मौलिक प्रतिनिधि के रूप में गाव को लिया गया. so सन सैतालिस में पचासी प्रतिशत भारतवासी गाँवों में रहते थे. खेती-बाड़ी ही आम जन की आजीविका का मुख्य साधन था. तब भारत की राष्ट्रीय आय में 55 प्रतिशत हिस्सा खेती का था. किसान देश की मजबूती की कड़ी था. राष्ट्र के निर्माण में किसान मुख्य था. because असली  भारत का प्रतिनिधि था गाँव. आर्थिक विकास में सत्तर के दशक की हरित क्रांति के आधार पर भारत खाद्यान्न में आत्म निर्भर हुआ था. सात दशक बाद गाव की यह छवि बदल चुकी है. अब भारत तेजी से आगे बढ़ते शहरों और मध्यवर्ग की छवि वाला हो रहा है. भारत गांव या कृषि क्षेत्र एक बेवजह के भार जैसा, पिछड़ेपन, अशिक्षा और गरी...
राजनीति के अखाड़े में खेती के दांव पेंच  

राजनीति के अखाड़े में खेती के दांव पेंच  

समसामयिक
प्रो. गिरीश्वर मिश्र किसान आंदोलन को एक  पखवाड़ा बीत चुका  है और गतिरोध ऐसा कि जमी बर्फ पिघलने का नाम ही नहीँ ले रही है. आज खेती किसानी के सवालों को ले कर राजधानी दिल्ली को चारों because ओर से घेर कर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से चल कर आए हजारों किसानों का केन्द्रीय सरकार के कानूनों के खिलाफ धरना-आन्दोलन  बदस्तूर जारी है. सरकारी पक्ष के साथ पांच छह दौर की औपचारिक बातचीत में so कृषि से जुडे तीन बिलों के विभिन्न पहलुओं पर घंटों विस्तृत  चर्चा हुई पर अभी तक कोई हल नहीं निकला और दोनों पक्षों के बीच सुलह की कोई बात नहीं बन पाई है. बीच में आन्दोलन के समर्थन के लिए ‘भारत बंद’ का भी आयोजन हुआ जिसका देश में मिला-जुला असर रहा. अब आन्दोलन को और तेज करने और सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश हो रही है . केन्द्रीय सरकार किसानों के मन  में कृषि के कार्पोरेट हाथों में दिये जाने की शंका बनी ...