दून-टू-इसोटी और इसोटी-टू-दून : इनके लिए गांव ही सबकुछ है…
पहले दून-दू-इसोटी के बारे में बताते हैं फिर आगे की कहानी समझाएंगे। दून का मतलब सभी समझते हैं। इसोटी पौड़ी जिले का एक गांव है। दून-टू-इसोटी ना तो किसी बस सेवा का नाम है और ना किसी टैक्सी सर्विस का। यह कहानी उस इंसान से जुड़ी है, जिसके लिए अपना गांव ही सबसे जरूरी है। केवल अपना गांव ही नहीं। बल्कि पूरा पहाड़ ही पहली प्राथमिकता है। जिनका चिंतन शुरू और समाप्त इस बात पर होता है कि कैसे पहाड़ के लोगों को समृद्ध किया जा सके। वह नाम है समाजसेवी कवींद्र इष्टवाल का।
सबसे पहले दून-टू-इसोटी के बारे में बताते हैं। कवींद्र इष्टवाल समाजसेवा में जुटे रहते हैं। लेकिन, समाज सेवा तभी हो पाएगी, जब आप खुद से सक्षम होंगे। लोगों का जीवन कैसे बेहतर किया जा सकता है? कैसे उनकी मदद की जा सकती है? कवींद्र इष्टवाल बस इसी चिंता में डूबे रहते हैं। देहरादून आने के बाद फिर अपने गांव इसोटी और क्षेत्र के लोगों से मिलने पहुंच जा...