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उत्तराखंड के ऐतिहासिक नौले : जल संस्कृति की अमूल्य धरोहर

उत्तराखंड के ऐतिहासिक नौले : जल संस्कृति की अमूल्य धरोहर

जल-विज्ञान
भारत की जल संस्कृति-34 डॉ. मोहन चंद तिवारी उत्तराखण्ड में जल-प्रबन्धन-5 उत्तराखंड की जल समस्या because को लेकर मैंने पिछली अपनी पोस्टों में परम्परागत जलप्रबंधन और वाटर हार्वेस्टिंग से जुड़े गुल,नौलों और धारों पर जल विज्ञान की दृष्टिसे प्रकाश डाला है. इस लेख में  परम्परागत ऐतिहासिक नौलों और उनसे उभरती जलसंस्कृति के बारे में कुछ जानकारी देना चाहूंगा. वाटर हारवैस्टिंग कुमाऊं,गढ़वाल के अलावा हिमाचल प्रदेश और नेपाल में भी जल आपूर्ति के परंपरागत प्रमुख साधन नौले ही रहे हैं. ये नौले हिमालयवासियों की समृद्ध-प्रबंध परंपरा और लोकसंस्कृति के प्रतीक हैं. कौन नहीं जानता है कि अल्मोड़ा नगर,जिसे चंद राजाओं ने 1563 में राजधानी के रूप में बसाया था,वहां परंपरागत जल प्रबंधन के मुख्य because वहां के 360 नौले ही थे. इन नौलों में चम्पानौला, घासनौला, मल्ला नौला, कपीना नौला, सुनारी नौला, उमापति का न...
न्यायदेवता ग्वेलज्यू की जन्मभूमि कहां? धूमाकोट में, चंपावत में या नेपाल में?

न्यायदेवता ग्वेलज्यू की जन्मभूमि कहां? धूमाकोट में, चंपावत में या नेपाल में?

अल्‍मोड़ा
डॉ. मोहन चन्द तिवारी उत्तराखंड के न्याय देवता ग्वेलज्यू के जन्म से सम्बंधित विभिन्न जनश्रुतियां एवं जागर कथाएं इतनी विविधताओं को लिए हुए हैं कि ग्वेल देवता की वास्तविक जन्मभूमि निर्धारित करना आज भी बहुत कठिन है. because न्याय देवता की जन्मभूमि धूमाकोट में है,चम्पावत में है या फिर नेपाल में? इस सम्बंध में भिन्न भिन्न लोक मान्यताएं प्रचलित हैं. कहीं ग्वेल देवता को ग्वालियर कोट चम्पावत में राजा झालराई का पुत्र कहा गया है तो किसी जागर कथा में उन्हें नेपाल के हालराई का पुत्र बताया जाता है. विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित पारम्परिक जागर कथाओं और लोकश्रुतियों में भी but न्यायदेवता ग्वेल की जन्मभूमि के बारे में अनिश्चयता की स्थिति देखने में आती है. पिछले कुछ वर्षों में जो ग्वेल देवता से सम्बंधित लिखित साहित्य सामने आया है,उसमें भी जन्मभूमि के सम्बंध में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. उदाहरण के ...