आज बहुत याद आते हैं ‘हिरदा कुमाउंनी’
हीरा सिंह राणा के जन्मदिन (16 सितंबर) पर विशेष
डॉ. मोहन चंद तिवारी
16 सितंबर को उत्तराखंड लोक गायिकी के पितामह, लोकसंगीत के पुरोधा तथा गढ़वाली-कुमाउंनी और जौनसारी अकादमी, दिल्ली सरकार के उपाध्यक्ष रहे श्री हीरा सिंह राणा जी का जन्मदिन है. बहुत दुःख की बात है कि कुमाउंनी लोक संस्कृति को अपनी पहचान से जोड़ने वाले 'हिरदा कुमाउंनी ' आज हमारे बीच नहीं हैं. becauseअभी कुछ महीने पहले उनका निधन हो गया है. विश्वास नहीं होता है कि “लस्का कमर बांध, हिम्मत का साथ फिर भोल उज्याई होलि, कां ले रोलि रात”- जैसे ऊर्जा भरे बोलों से जन जन को कमर कस के हिम्मत जुटाने का साहस बटोरने और रात के अंधेरे को भगाकर उजाले की ओर जाने की प्रेरणा देने वाले 'हिरदा' इतनी जल्दी अपने चाहने वालों से विदा ले लेंगे. लोक संस्कृति के संवाहक राणा जी का अचानक चला जाना समूचे उत्तराखण्डी समाज के लिए बहुत दुःखद है और पर्वतीय ...