Tag: स्वराज

भारतीय महिलाओं का  सामाजिक यथार्थ और चुनौतियाँ 

भारतीय महिलाओं का  सामाजिक यथार्थ और चुनौतियाँ 

साहित्‍य-संस्कृति
प्रो. गिरीश्वर मिश्र  इस तथ्य के बावजूद कि महिलाएं हमारे समाज का एक अभिन्न अंग हैं और कई महिलाएं घर और बाहर विविध जिम्मेदारियों को निभा रही हैं, उनकी स्थिति और अधिकारों को न तो ठीक से समझा जाता है और न ही उन पर ध्यान दिया जाता है. सतही तौर पर, महिलाओं के बारे में बहुत कुछ कहा जाता है, और वादे अक्सर किए जाते हैं. वास्तव में महिलाओं का सम्मान एक पारंपरिक भारतीय आदर्श है और सैद्धांतिक रूप से इसे समाज में व्यापक स्वीकृति भी मिली है. उन्हें 'देवी' कहा जाता है. दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी के रूप में इनकी पूजा की जाती है और इनकी स्तुति भी धूमधाम से की जाती है. किसी भी शुभ कार्य या अनुष्ठान की शुरुआत गौरी और गणेश की पूजा से होती है. यह सब समृद्धि बढ़ाने और अधिक शक्ति प्राप्त करने की इच्छा को पूरा करने और अधिकतम क्षमता का एहसास करने के लिए किया जाता है. लेकिन आज जिस तरह से महिलाओं के खिलाफ हिंसा ब...
आत्मनिर्भर भारत की नींव है अनुसंधान- स्मृति ईरानी

आत्मनिर्भर भारत की नींव है अनुसंधान- स्मृति ईरानी

देश—विदेश
हिमांतर वेब डेस्क विविध क्षेत्रों में किये जा रहे शोध कार्यों के बीच समन्वय आवश्यक है जिससे जीवन को सुगम बनाया जा सके. वर्तमान सरकार विभिन्न मंत्रालयों के मध्य समन्वय स्थापित कर शोध कार्य को तकनीकी से जोड़ने का कार्य कर रही है. उक्त बातें महिला एवं बाल विकासमंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने भारतीय शिक्षण मण्डल के युवा आयाम एवं रिसर्च फॉर रिसर्जेन्स फाउंडेशन, नागपुर द्वारा ग्रेटर नोएडा स्थित गलगोटिया विश्वविद्यालय में आयोजित युवा शोधवीर समागम के समापन समारोह में युवा शोधवीरों को प्रेषित वीडियो सन्देश के माध्यम से कही. उन्होंने आगे कहा कि सरकार शोध एवं तकनीकी के माध्यम से समाज को आत्मनिर्भर बनाने का निरन्तर प्रयास कर रही है. आज आर्थिक आत्मनिर्भरता के साथ ही सामाजिक आत्मनिर्भरता भी आवश्यक है. इस अवसर पर भारतीय शिक्षण मण्डल के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो० सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि भारत के इतिहास ल...
स्वतंत्र भारत में स्वराज की प्रतिष्ठा

स्वतंत्र भारत में स्वराज की प्रतिष्ठा

साहित्‍य-संस्कृति
स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त, 2022) पर विशेष  प्रो. गिरीश्वर मिश्र  आज़ादी मिलने के पचहत्तर साल बाद देश स्वतंत्रता का ‘अमृत महोत्सव’ मना रहा है तो यह विचार करने की इच्छा और स्वाभाविक उत्सुकता पैदा होती है कि स्वतंत्र भारत का जो स्वप्न देखा गया था वह किस रूप में यथार्थ के धरातल पर उतरा. स्वाधीनता संग्राम का प्रयोजन यह था कि भारत को न केवल उसका अपना खोया हुआ स्वरूप वापस मिले बल्कि वह विश्व में अपनी मानवीय because भूमिका को भी समुचित ढंग से निभा सके. देश या राष्ट्र का भौगोलिक अस्तित्व तो होता है पर वह निरा भौतिक पदार्थ नहीं होता जिसमें कोई परिवर्तन न होता हो. वह एक गत्यात्मक रचना है और उसी दृष्टि से विचार किया जाना उचित होगा. बंकिम बाबू ने भारत माता की वन्दना करते हुए उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में ‘सुजलां सुफलां मलयज शीतलां शस्य श्यामलां मातरं वन्दे मातरं‘ का अमर गान रचा था. ‘सुखदां वरदां म...
गांधी जी के स्वतंत्र भारत की स्त्री

गांधी जी के स्वतंत्र भारत की स्त्री

समसामयिक
सुनीता भट्ट पैन्यूली गांधी जी का जीवन-दर्शन आश्रय स्थल है उन जीवन मूल्यों और विचारों का जहां श्रम है,सादगी है सदाचार है, आत्मसम्मान है, सत्य है, अहिंसा है, दया है, उन्नयन है अस्तित्व का, प्राचीनता में नवीनता है, स्वप्न हैं, स्वाधीनता है, स्वराज है, रोजगार है. गांधी जी के विचार व दृष्टिकोण आधुनिक व उन्नतशील भारत की क्रांति की वह मुहिम है because जिसका बेहद अहम हिस्सा स्त्री है जो महात्मा गांधी के सुधार और परिवर्तन और विकास जैसे विचारों के सरोकार में महत्त्वपूर्ण केंद्र रही है. सामान्यतः महात्मा गांधी धार्मिक, सांस्कृतिक समाज so और स्वदेशी परंपरा के उदार समर्थक हैं किंतु जहां समाज में स्त्रियों की स्थिती और उसकी उन्नति का प्रश्न है वहां गांधी जी ने बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में स्त्रियों के संदर्भ में जो दृष्टव्य और आधुनिक विचार अपने भीतर विकसित किये वह आज की इस अत्याधुनिक इक्क...