Tag: स्वतंत्रता

आओ हिल-मिल जिएँ और भारत को जोड़ें

आओ हिल-मिल जिएँ और भारत को जोड़ें

साहित्‍य-संस्कृति
प्रो. गिरीश्वर मिश्र  स्वाधीनता क्या है? इसका अर्थ और उसका स्मरण समय बीतने के साथ धूमिल न होने पाए, राष्ट्र स्वाधीनता के मूल्य को पहचान सके तथा इसके लिए जिन्होंने सर्वस्व न्योछावर कर दिया था so उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करे इसके लिए देश स्वतंत्रता का ‘अमृत महोत्सव’ मना रहा है. यह इसलिए भी जरूरी है कि आज के भारतीय समाज के सदस्यों में अधिकाँश का जन्म 1947 के बाद हुआ था. उसके पहले जन्मे लोगों की संख्या कम होती जा रही है और स्वतंत्रता के अभाव की पीड़ा और अंग्रेजों के अत्याचार को सह चुके लोगों की दुखान्तिका भी दृष्टि से ओझल हो रही है हालांकि जलियांवाला बाग़ जैसे कई पुरावशेष अभी भी उस अत्याचार की मुखर गवाही देते हैं. अंग्रेजों के शासन के अधीन रहते हुए भारत के सामाजिक-आर्थिक और मानसिक दुनिया का बदलाव जिस तरह हुआ उसके बीच देश के लिए स्वतंत्रता अर्जित करना एक बड़ी चुनौती थी पर बीसवीं सदी के आर...
…जरा याद करो कुर्बानी

…जरा याद करो कुर्बानी

स्मृति-शेष
कारगिल विजय दिवस (26 जुलाई) पर विशेष डॉ. मोहन चन्द तिवारी आज पूरे देश में कारगिल विजय दिवस की 21वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है.आज के ही दिन 26 जुलाई,1999 को जम्मू और कश्मीर राज्य में नियंत्रण रेखा से लगी कारगिल की पहाड़ियों पर कब्ज़ा जमाए आतंकियों और उनके वेश में घुस आए पाकिस्तानी सैनिकों को मार भगाया था. उसी उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष '26 जुलाई' का दिन ‘विजय दिवस’ के रूप में याद किया जाता है और पूरा देश उन वीर और जाबांज जवानों को इस दिन श्रद्धापूर्वक नमन करता है. भारतीय सेना का यह ऑपरेशन विजय 8 मई से शुरू होकर 26 जुलाई तक चला था. इस कार्रवाई में भारतीय सेना के 527 जवान शहीद हुए तो करीब 1363 घायल हुए थे. कारगिल के इस युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाने में उत्तराखंड के 75 जवानों ने भी अपने प्राणों की आहुति दी थी. दो महीने से भी अधिक समय तक चले इस युद्ध में भारतीय सेना के वीर सपूतों न...