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उत्तराखंड हिमालय की धार्मिक और सांस्कृतिक परम्पराओं का प्रतीक  है: छोटी दीवाली और इगास

उत्तराखंड हिमालय की धार्मिक और सांस्कृतिक परम्पराओं का प्रतीक है: छोटी दीवाली और इगास

लोक पर्व-त्योहार
जे पी मैठाणी  ऐ- ध्यान धोरया - यी राखुडी- कांणसी बग्वाल मतलब छ्वोटी दीवाली का दिन ख्वोली कणी ग्वोरू का पुछडा पर बाँधण च ( हे ध्यान रखना सब लोग - ये जो तुम्हारे हाथों पर राखियाँ बांधी जा रही है , ये छोटी दिवाली के दिन काटकर गाय के पूछ पर बाँध देनी हैं.  - ध्यान रखना- ये कोई और नहीं मेरी माँ ( श्रीमती विशेश्वरी देवी )  रक्षाबंधन के दिन हमको - बार बार बोल देती थी , और आज भी मैंने अपनी मां को फ़ोन करने की कोशिश की लेकिन अभी रात बेहद हो गयी तो बात नहीं हो पायी ! उस दौर में समस्या यह थी की उस जमाने में स्पंज से बनी राखियाँ जल्दी ही पानी सोखकर टूट जाती थी,  और सिर्फ सामान्य धागे वाली राखी पसनद नहीं आती थी ! आस पास के गांवों से जो पंडित जी भी आते थे उनकी हल्दी  और लाल पिठाईं में रंगी गयी राखियों से सारी हथेलियाँ रंग जाती थी और स्कूल में लिखते वक्त नोट बुक पर राखियों का वो कच्चा रंग लग जाता था ! घर...