सफर का सफरनामा : दून-टू-मोरी, अतिथि देवो भव:
दिन दो दिसंबर। समय दिन में करीब डेढ़ बजे। सफर दून-टू-मोरी। वाहन बड़े भाई दिनेश रावत का। मौका अनुरूपा ‘अनुश्री’ के पहले रवांल्टी कविता संग्रह ‘तऊं घाट’ के लोकार्पण का। जब भी अपनी दूधबोली रवांल्टी से जुड़ा कोई आयोजन होता हैं, मैं खुद को रोक नहीं पाता हूं। बैग दो-तीन दिन पहले ही पैक हो जाता है। दफ्तर में तिकड़मबाजी करके चल पड़ता हूं।
तीन दिसंबर को मोरी के राजकीय इंटर कॉलेज में अनुरूपा ‘अनुश्री’ के कविता संग्रह का लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम की जानकारी पहले ही मिल गई थी। जब भी ऐसा कोई आयोजन होता है। सबसे पहले उत्तराखंड गौरव महावीर रवांल्टा, दिनेश रावत और शशी मोहन रवांल्टा को फोन लगाता हूं। चूंकि मैं देहरादून, दिनेश रावत जी हरिद्वार और शशि मोहन रवांल्टा दिल्ली में हैं।
पहाड़ का रास्ता दून से होकर जाता है तो पहले यह तय होता है कि हम तीनों आयोजन में कैसे पहुंचेंगे। अक्सर हम या तो दिनेश रावत जी के साथ सवा...