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महात्मा रामरत्न थपलियाल-एक गुमनाम संत और वैज्ञानिक

महात्मा रामरत्न थपलियाल-एक गुमनाम संत और वैज्ञानिक

स्मृति-शेष
डॉ. अरुण कुकसाल महात्मा रामरत्न थपलियाल जी की लिखित सन् 1930 में प्रकाशित पुस्तक 'विश्वदर्शन' को पढ़कर दो बातें एक साथ मेरे मन-मस्तिष्क में कौंधी, कि हम कितना कम जानते हैं अपने आस-पास के परिवेश को, और अपनों को. दूसरी बात कि हमारे स्थानीय समाज में अपने घर-परिवार-इलाके-समाज के व्यक्तित्वों की विद्वता एवं उनके प्रयासों-कार्यों को यथोचित सहयोग-सम्मान देने की मनोवृत्ति क्यों नहीं विकसित हो पाई है? 'विश्वदर्शन' किताब दार्शनिक जगत की बहुचर्चित रचना है. विश्चस्तर पर यह पुस्तक जानी जाती है. 'महात्मा गांधी', 'महामना मदन मोहन मालवीय', 'रवीन्द्रनाथ टैगोर', 'पुरुषोत्तम दास टंडन', 'महिर्षि अरविन्द', आदि ने इस किताब पर महत्वपूर्ण प्रशंसनीय टिप्पणियां दी हैं. उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जनपद के कल्जीखाल विकासखंड के 'चिलोली' गांव में सन् 1901 में जन्मे, बड़े हुए और आजीवन अपने गांव में रहे महात्मा रामरत्...