Tag: सतपाल महाराज

नाबार्ड ने सतपुली में झील निर्माण के लिए स्वीकृत की 5634.97 लाख की धनराशि

नाबार्ड ने सतपुली में झील निर्माण के लिए स्वीकृत की 5634.97 लाख की धनराशि

देहरादून
हिमांतर ब्यूरो, देहरादून उत्तराखंड के सिंचाई एव पर्यटन मंत्री और चौबट्टाखाल विधायक सतपाल महाराज ने बताया कि नाबार्ड द्वारा 5634.97 लाख की लागत से बनने वाली महत्वपूर्ण सतपुली झील निर्माण योजना की स्वीकृति प्रदान कर दी है. झील निर्माण की वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति हेतु शासन को भेज दी गई है. सतपाल महाराज ने कहा कि सतपुली झील निर्माण की स्वीकृति के लिए टेंडर प्रक्रिया पूर्व में ही पूर्ण की जा चुकी है. शासन द्वारा वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति प्राप्त होने के पश्चात शीघ्र ही सतपुली झील का निर्माण कार्य प्रारंभ करने के आदेश कर दिए जाएंगे. उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार जताते हुए कहा कि सतपुली झील निर्माण मुख्यमंत्री धामी की भी शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल था इसलिए इसके निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो पाया है. वर्ष 2017 में सिंचाई एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज अपनी विधानसभ...
उत्तराखंड को मिला बेस्ट टूरिज्म डेस्टिनेशन अवार्ड

उत्तराखंड को मिला बेस्ट टूरिज्म डेस्टिनेशन अवार्ड

देहरादून
मसूरी व नैनीताल में दिसंबर 2022 में आयोजित होगे विंटरलाइन कार्निवाल! उत्तराखंड को ये पुरस्कार मिलने पर सतपाल महाराज ने समस्त प्रदेशवासियों और पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह सम्मान उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है. उत्तराखंड राज्य देश-विदेश के सैलानियों को प्रदेश में आने का निमंत्रण देता है जहां पर्यटन की सभी श्रेणियों में हर प्रकार की सुविधाएं और अवसर उपलब्ध हैं. मंगलवार को ही मसूरी में हेलीकॉप्टर के माध्यम से हिमालय दर्शन की सेवा का भी शुभारंभ किया गया है. सतपाल महाराज ने कहा “पर्यटन विभाग उत्तराखंड में पर्यटकों को आकर्षित करने वाली कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को मिले दोनों पुरस्कार यह सिद्ध करते हैं कि प्रदेश को लेकर पर्यटकों के बीच लोकप्रियता निरंतर बढ़ रही है. महाराज ने कहा कि हिमालय दर्शन सेवा शुरू होने से प्रदेश में पर्यटकों क...
पंडित नेहरू में क्यों जागी थी ‘कण्वाश्रम’ को जानने की रुचि

पंडित नेहरू में क्यों जागी थी ‘कण्वाश्रम’ को जानने की रुचि

पर्यटन
कण्वाश्रम एक ऐतिहासिक स्थल है, जिसका प्राचीन और समृद्ध इतिहास रहा है. महर्षि कण्व के काल में कण्वाश्रम शिक्षा का प्रमुख केंद्र हुआ करता था. because उस समय वहां दस हजार छात्र शिक्षा लेते थे. वैदिक काल में कण्वाश्रम शिक्षा और संस्कृति कर बड़ा गढ़ था. स्वरोजगार विजय भट्ट भारत की आजादी के बाद वर्ष 1955 में रूस दौरे पर गए भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जब रूस में महर्षि कण्व ऋषि की तपस्थली because और चक्रवर्ती सम्राट भरत की जन्मस्थली कण्वाश्रम के बारे में सुना तो उनको इस ऐतिहासिक स्थल को जानने की जिज्ञासा हुई. स्वरोजगार हुआ यूं कि प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू1955 में रूस यात्रा पर गए थे. उस दौरान उनके स्वागत में रूसी कलाकारों ने महाकवि कालिदास रचित 'अभिज्ञान शाकुंतलम' की नृत्य नाटिका प्रस्तुत की. जिससे उन्हें भी इस ऐतिहासिक स्थल के जानने की जिज्ञासा हुई. वापस भ...