अपनेपन की मिठास कंडारी बंधुओं का ‘कंडारी टी स्टाल’
डॉ. अरुण कुकसाल
चर्चित पत्रकार रवीश कुमार ने अपनी किताब 'इ़श्क में शह़र होना’ में दिल से सटीक बात कही कि ‘'मानुषों को इश्क आपस में ही नहीं वरन किसी जगह से भी हो जाता है. और उस जगह के किन्हीं विशेष कोनों से तो बे-इंतहा इश्क होता है. क्योंकि बीते इश्क की कही-अनकही बातें और सफल-असफल किस्से उन्हीं कोनों में दुबके रहते हैं. ये अलग बात है कि नये वक्त की नई चमचमाहट और आपाधापी में उन किस्सों और बातों के निशां दिखाई नहीं देते हैं. पर दिल का सबसे नाजुक कोना उन्हें ताउम्र बखूबी महसूस करता है.’'
श्रीनगर गढ़वाल के 'सेमवाल पान भंडार' और उससे सटा 'कंडारी की स्टाल' क्रमशः प्रोफेसरों और छात्रों का बिड़ला कालेज से इतर का मिलन केन्द्र हुआ करता था. अक्सर किसी सेमीनार या कार्यक्रम हाल में बैठे प्रतिभागियों से ज्यादा गम्भीर चर्चा उससे ऊब कर हाल से बाहर आये प्रतिभागियों में होती है.
श्रीनगर में रहते ...