शख्सियत : रंग लाई ‘साधना’ की साधना
आशिता डोभाल
देवभूमि उत्तराखंड अपने आप में एक खूबसूरत राज्य तो है ही साथ सदियों से ये पर्वतीय राज्य समय-समय पर ऋषि मनिसियों, वीर बालाओं, विरांगनाओं की जन्मभूमि और कर्मभूमि भी रही है. बात चाहे गौरा देवी की करें या तीलू रौतेली की, महारानी कर्णावती की या बसंती बिष्ट की या किसी भी साधारण-सी दिखने वाली गांव की थाती-माटी से जुड़ी महिला की. उसके संघर्षों की दास्तां अपने आप में एक अनूठी मिसाल कायम करती हुई कहानी-सी लगेगी और उस कहानी के पात्र लिखते-लिखते आप महसूस करेंगे कि पहाड़ में जीवन कितना कठिन और दुश्वार रहा होगा. परिस्थितियां चाहे कैसी भी रही हों, पहाड़ की नारी ने इन संघर्षों और कठिनाइयों को सहर्ष स्वीकार किया और उन से पार पाकर देश ही नहीं विश्व पटल पर भी अपना नाम ऊंचा किया.
सीमांत जनपद उत्तरकाशी आज भी विषम भौगोलिक परिस्थितियों से जूझ रहा है, जबकि हम आज 21वीं सदी में जी रहे है पर हमारे कई गा...