
रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने के लिए आयुर्वेद और विज्ञान का अद्भुत संगम!
आयुर्वेद के कथित रोग प्रतिरोधक क्षमता के गुण को वैज्ञानिक रूप से समझने और विकसित करने की एक अनुपम पहल
देहरादून. तंदुरुस्त रखने के उपाय तथा बीमारियों को दूर करने के उपाय के सिद्धांतों पर आधारित है आयुर्वेद. इसी प्रकार शरीर के वात, पित्त, कफ दोषों, रस, रक्त, मांस, मेद, मज्जा, शुक्र धातुओं तथा मल, मूत्र, विष्ठा के सामान्य क्रियाओं के साथ समस्त ज्ञानेन्द्रियों, मन और आत्मा की प्रसन्नता की अवस्था में रहने वाले को आयुर्वेद में स्वस्थ की परिभाषा दी गई है. तात्पर्य है कि शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति को बराबरी में रखकर किसी आदमी को स्वस्थ रखा जा सकता है. यह तभी संभव होगा जब शरीर में स्थित कोशिकाएं, ग्रंथियों और विभिन्न अंगों में रोग प्रतिरोधक शक्ति इम्यूनिटी का संचार हो.
कोरोना के विश्व व्यापी संक्रमण के पश्चात वैज्ञानिकों का ध्यान वायरस, बैक्टीरिया को नष्ट करने के साथ-साथ शरीर की रोग प्र...