आज भी प्रासंगिक हैं वैदिक जल विज्ञान के सिद्धात
भारत की जल संस्कृति-8
डॉ. मोहन चन्द तिवारी
देश में इस समय वर्षा ऋतु का काल चल रहा है.भारतीय प्रायद्वीप में आषाढ मास से इसकी शुरुआत हो जाती है और सावन भादो तक इसका प्रभाव रहता है.आधुनिक मौसम विज्ञान की दृष्टि से इसे 'दक्षिण-पश्चिमी मानसूनों' के आगमन का काल कहते है,जिसे भारतीय ऋतुविज्ञान में 'चातुर्मास' या 'चौमास' कहा जाता है. इस मास में भारत का कृषक वर्ग इंद्रदेव से चार महीनों तक अच्छी वर्षा होने की शुभकामना करता है ताकि समूचे राष्ट्र को धन-धान्य की समृद्धि प्राप्त हो सके. यही वह उचित समय है जब जल भंडारण और पुराने जीर्ण शीर्ण नौलों और तालाबों की मरम्मत और साफ सफाई की जाती है ताकि वाटर हारवेस्टिंग की विधियों से वर्षा के जल का संग्रहण किया जा सके.
लगभग पांच हजार वर्ष पहले सिंधुघाटी की सभ्यता में हड़प्पा काल के किसान दो प्रकार की मानसूनी वर्षा को ध्यान में रखते हुए वर्षभर में दो बार ख...