Tag: विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस

मानसिक स्वास्थ्य है विकसित भारत की आधारशिला

मानसिक स्वास्थ्य है विकसित भारत की आधारशिला

साहित्‍य-संस्कृति, सेहत
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (10 अक्तूबर 2024) पर विशेष  प्रो. गिरीश्वर मिश्र, शिक्षाविद् एवं पूर्व कुलपति हमारे स्वास्थ्य का कोई दूसरा विकल्प नहीं है. आदमी स्वस्थ्य न रहे तो सारे सुख  और  वैभव व्यर्थ हो जाता है. आज  अस्वास्थ्य की चुनौती दिनों-दिन गहराती जा रही है और आधि और व्याधि, मन और शरीर दोनों के कष्ट बढ़ते जा रहे हैं. तनाव, कुंठा और प्रतिस्पर्धा के बीच मन की प्रसन्नता से हम सभी दूर होते जा रहे हैं. स्वास्थ्य की इन चुनौतियों  को हम खुद बढ़ा रहे हैं. सुकून, ख़ुशी, आश्वस्ति और संतुष्टि के भाव दूभर हो रहे हैं. आयुर्वेद कहता है कि यदि आत्मा, मन और इंद्रियाँ प्रसन्न रहें तो ही आदमी स्वस्थ है: प्रसन्नात्मेंद्रियमन: स्वस्थमित्यभिधीयते . ऐसा स्वस्थ आदमी ही सक्रिय हो कर उत्पादक कार्यों को पूरा करते हुए न केवल अपने लक्ष्यों की पूर्ति कर पाता है बल्कि समाज और देश की उन्नति में योगदान भी कर पा...
मानसिक स्वास्थ्य के लिए चाहिए शान्ति और सौहार्द

मानसिक स्वास्थ्य के लिए चाहिए शान्ति और सौहार्द

सेहत
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (10 अक्टूबर) पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र बचपन से यह कहावत सुनते आ because रहे हैं “जब मन चंगा तो कठौती में गंगा” यानी यदि मन प्रसन्न हो तो अपने पास जो भी थोड़ा होता है वही पर्याप्त होता है.  पर आज की परिस्थितियों मन चंगा नहीं हो पा रहा है और स्वास्थ्य और खुशहाली की जगह रोग व्याधि के चलते लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त होता जा रहा है. लोगों का मन खिन्न होता जा  रहा है और वे निजी जीवन में भी असंतुष्ट रह रहे हैं और संस्था तथा समुदाय के लिए भी उनका योगदान कमतर होता जा रहा है. समाज के स्तर  पर जीवन की गुणवत्ता घट  रही है और हिंसा, भ्रष्टाचार, दुष्कर्म, अपराध और सामाजिक भेद-भाव जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं. चिंता की बात यह है की उन घटनाओं के प्रति संवेदनशीलता भी घट रही है और उनकी व्याख्या अपने लाभ के अनुसार की जा रही है. बचपन हम एक because  नए ढंग का भौतिक आत्मबोध ...